रतलाम । 38 वां अ.भा. रामायण मेले के अंर्तगत ग्राम छिपकोली से अनंत विभूषित भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य ज्ञानानंद जी तीर्थ ने द्वितीय दिवस पर फेसबुक, व्हाटसप और संदेश पत्र के माध्यम से बताया कि शरीर शुद्घि के सनातन नियम है जो आज मनुष्य सभी नियमों को भूल गया है। आचमन करना और घर को लिपना सब भूल गया है। हमारे देश में ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पहले ही सुबह से रात्रि तक शरीर शुद्घि के नियम बना दिये थे। नित्यकर्म के नियमों की परंपरा मानव समाज की सुरक्षा के लिए है। अच्छे स्वस्थ्य का सार सनातन नियमों के धारण करने से है। मनुष्य सुबह से रात्रि तक सनातन पद्वति अपनाले तो कोई रोग लगने वाला नही है।
उन्होने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों की परंपरा मानव समाज की सुरक्षा के लिए है। हजारों वर्ष पहले हमारे ऋषियों ने हमें सिखा दिया जो आज पुरी दुनिया भारत के पदचिन्हों पर चल कर हमारे ऋषि मुनियों की श्रैष्ठ परंपरा का निर्वाहन का पालन कर रही है। दुनिया जान गई कि हाथ मिलाना असुरक्षित है। इसलिए सभी एक दुसरे को स्पर्श नही करते हुए नमस्ते कर रहे है। उन्होने कहा कि इस समय पहली आवश्यकता है अपने आप को सुरक्षित रखना। करोना रूका ही इसलिए है कि लॉकडाउन है। जब लॉकडाउन में ही संक्रमितों की संख्या 60 हजार पार हो गई है। तो भीड़-भाड़ बडऩे पर क्या हो सकता है। लॉकडाउन के समय भगवान का भजन, कीर्तन, ध्यान करना चाहिए। जीवन को पटरी पर लाने का यह अच्छा समय है। उक्त जानकारी रामायण मेले के संयोजक पं. राजेश दवे ने दी है।