चातुर्मास की विशेषता यह है कि तीनों मंदिर मार्गी तेरापंथी एवं स्थानकवासी संघ मिलकर तन,मन, धन से समर्पित होकर मुन श्री का यह अद्भुत चातुर्मास करवा रहे है

महाड़ । मोहनखेंडा तीर्थ के संत परोपकार सम्राट आचार्यदेव श्रीमद्विजय ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.के शिष्यरत्न प.पू. प्रवचनदक्ष मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. मुनि मंगलचंद्र विजयजी का चातुर्मास महाड़ नगर में ज्ञानमय तपोमय भक्तिमय आराधना पूर्वक चल रहा है। श्री पर्युषण महापर्व की आत्मीक आराधना सुव्यवस्थित तरिके से हर्ष उल्लासमय वातावरण में पूर्ण हुई। इस चातुर्मास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि तीनों समाज मंदिर मार्गी तेरापंथी एवं स्थानकवासी श्रीसंघ मिलकर तन मन धन से समर्पित होकर मुनिश्री का यह अद्भुत चातुर्मास करवा रहे है। इस नगर का सर्वप्रथम चातुर्मास है जो स्वणीम पष्ठों पर सदैव अंकित रहेगा। धर्ममार्ग से सुखे व दुर एसे स्थान मैं मुनिश्री ने अपनी वाणी द्वारा पूरा हराभरा कर दिया,यही इस चातुर्मास की सफलता है। प्रथम तीन दिन अष्टान्हिंका ग्रंथ 4 दिन कल्पसूत्र ग्रंथ व संवत्सरी के दिन बारसा सूत्र ग्रंथ खड़े-खड़े वांचन किया गया। अनेक महानुभावों ने 8,11,16, व तेला की तपस्या पूर्ण की। तपस्वी मंजुबेन सुकलेचा मासक्षमण की ओर अग्रसर है। संवत्सरी प्रतिक्रमण सभी ने साथ मिलकर किया। तपस्वी के पारणे का लाभ व चैत्यपरिपाटी वरघोड़े के पश्चात श्रीसंघ स्वामीवात्सल्य का लाभ शांताबाई मोहनलालजी सुकलेचा परिवार को मिला। क्षमापन सभा का आयोजन किया गया सभी के परस्पर आपस में क्षमायाचना की। मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी ने कहा क्षमापर्व को सार्वजनिक स्थलों पर किया जाकर सर्व व्यापी बनाना चाहिये। लादुलालजी, भगवतीलालजी गांधी,राजमलजी कोठारी, पवनजी देसरला व रेखाबेन नाणेशा ,अस्मिता जैन, ललिता ओसवाल व अन्य महानुभावो ने अपने क्षमापना के सुंदर विचार प्रस्तुत किये।
पर्यूषण पर्व के दौरान नित्य प्रतिदिन अंग रचना जिनवाणी श्रवण प्रभु पूजन का लाभ एवं प्रतिदिन भक्ति प्रतिदिन सभी को प्राप्त हुआ। नवकार मंत्र की आराधना का लाभ टीना प्रवीणजी कोठारी को मिला। नवपद औलीजी आराधना कराने का लाभ राजमलजी कोठारी को मिला । 14 अक्टूबर को गौतम लब्धि महापूजन अनुष्ठान किया जाएगा।