31 वे पुण्य स्मरण दिवस के पावन प्रसंग पर
प्रस्तुति : विजय कुमार लोढ़ा निम्बाहेड़ा (बेंगलुरू)
उपाध्यक्ष अ. भा. श्वे. स्था. जैन कांफ्रेंस नई दिल्ली ज्ञान प्रकाश योजना
मंत्री- जैन दिवाकर साहित्य प्रकाशन समिती चित्तौड़गढ़( रजि.)
आचार्य श्री आनंदऋषी जी म.सा का जन्म विक्रम संवत 1957 की श्रावण शुक्ला एकम तदानुसार 27 जुलाई 1900 को ग्राम चिंचोड़ी तालुका पाथर्डी जिला अहमद नगर में हुआ ! आपके पिताजी श्री देवीचंद जी गुगलीया व माता श्री हुलास कुंवर( हुलसा) थे ! तेरह वर्ष की अवस्था में संवत 1970 की मगसर सुदी नवमी तदानुसार 7 दिसम्बर 1913 को मिरी ग्राम जिला अहमदनगर में आपकी भागवती दीक्षा पुज्य श्री रत्न ऋषी जी म.सा के पावन सानिध्य में हुई ! गुरुदेव श्री रतन ऋषी जी महाराज ने आपको अधिक से अधिक प्राकृत व संस्कृत का अधिक से अधिक अध्ययन हो इसका पुरा ध्यान रखा ! उस समय के प्रकाण्ड विद्वान श्री राजमणी जी त्रिपाठी द्वारा आपका द्वय भाषा में अध्ययन हुआ ! सन 1920 में आपका प्रथम प्रवचन हुआ ! सन 1927 में ग्राम अलीपुर में आपके गुरुदेव श्री रतन ऋषी जी महाराज का संथारे सहित देवलोक गमन होगया आप बहुत भाव विहल होगया पर गुरु जी की दी हुइ वह सीख मष्तिषक पटल पर आइ कि संकट के समय धेर्य व हिम्मत रखना ! गुरु जी के बिना उनका प्रथम चातुर्मास हिंगनघाट में सन 1927 में हुआ ! सन 1932 में ( विक्रम संवत 1989) में जैन दिवाकर श्री चौथमल जी महाराज से आपका मिलन हुआ ! आप का उनसे वार्तालाप हुआ ! आपका विनय भाव देखकर उनके सुशिष्य श्री प्यारचंद जी म.सा से कहा कि यदि संघ में एकता हो तो आनन्द ऋषी जी को आचार्य बना देना !
25 नवम्बर 1936 को आपकी प्रेरणा से तिलोक रत्न स्थानक वासी जैन पाथर्डी बोर्ड की स्थापना हुई ! संवत 2006 में छः सम्प्रदायो का वीर वर्धमान श्रमण संघ बना उसके आप आचार्य बने ! उसमें जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म.सा मालव केसरी श्री सौभाग्य मल जी म.सा. आदि महापुरुषो का योगदान रहा ! सन 1952 में सादड़ी मारवाड में वृहद साधु सम्मेलन हुआ तब आचार्य श्री आत्मा राम जी म.सा को आचार्य व आपको श्रमण संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया ! आचार्य श्री आत्मा राम जी म.सा के देवलोक गमन के पश्चात आप श्रमण संघ के द्वितिय पटटधर बने ! १3 मार्च 1964 ( संवत 2020 के फाल्गुन शुक्ल ग्यारस) को अजमेर में आपका आचार्य पद चादर समारोह हुआ जिसमें वरिष्ठ संत उपस्थित थे !
13 फरवरी 1975 को महाराष्ट के तत्कालीन मुख्यमंत्री को उपस्थिती में आपको राष्ट्रसंत की उपाधी दी गई !
कइ संस्थाओ के प्रेरणा स्त्रोत एसे हमारे महान आचार्य श्री का 28 मार्च 1992 को संथारे सहित अहमदनगर में देवलोक गमन हुआ !
विनय के गुण का अनुपम संस्मरण
पूज्य आचार्य श्री का आचार्य पद चादर समारोह जो कि पटेल मैदान अजमेर में आयोजित किया गया था! उस समय पुरे देश से हजारो श्रद्धालु एकत्रित हुए थे ! तब वहा पर वृहद साधु सम्मेलन भी आयोजित किया गया था उसमें स्थानक वासी परम्परा के महान मूर्धन्य सन्त व सतीया जी एकत्रित हुए थे! उनमें वयोवृद्ध सन्त प्रवर श्री पन्ना लाल जी म.सा.व कस्तुर चंद जी म.सा को डोली में उठाकर लाए थे वह दोनो महा सन्त जब कार्यक्रम के मुख्य मंच पर पंहुचे तो आचार्य सम्राट श्री आनंन्द ऋषी जी महाराज ने खड़े होकर दोनो बड़े सन्तो को ति खुत्तो के पाठ से वंदना की व दोनो सन्तो के आग्रह पर उंचे आसन पर विराजमान हुए! वह दृश्य देख कर उपस्थित जन समूह भाव विहल हो गया ! में भी उस दृश्य को प्रत्यक्ष देखने वाला प्रत्यक्ष दर्शी हूं! बहुत छोटा बालक था पर वह दृश्य अभी भी आचार्य भगवन का नाम सुनते ही आंखो के सामने आजाता है!
इस ही महान गुण के कारण वह श्रमण संघ के अनुपम आचार्य सम्राट बने !
इन्दौर साधु सम्मेलन में उपाध्याय प्रवीण ऋषी . जी के मुख से
अभी इन्दौर साधु सम्मेलन में 28 मार्च को आचार्य भगवन की प्रण्यतिथी सामाइक दिवस के रूप में मनाइ गइ उसमें गुणानुवाद सभा में उपाध्याय श्री प्रवीण ऋषी जी म.सा. ने फरमाया कि आचार्य श्री आनन्द ऋषी जी म.सा को आचार्य बनाने में बहुत बडा योगदान रहा वो उनके विनय के गुण से बहुत प्रभावित हुए थे! एसे महा महिम आचार्य सम्राट के 31 वे पुण्य स्मृति दिवस पर ह्दय की असीम आस्था के साथ वंदन !
आचार्य सम्राट के जीवन का विनय गुण का कुछ अंश हममे भी आए! आचार्य श्री जहा पर भी बिराजमान हे आशीर्वाद बना रहे।