- आकर्षक महालक्ष्मी एवं शिव जल अभिषेक की झांकी के साथ चल समारोह निकलेगा
- इस बार दो झांकी निकलेगी
- गुरुवार को चुनरी यात्रा निकलेगी

रतलाम। श्री श्रीमाली ब्राह्मण समाज द्वारा प्रति वर्षानुसार अपनी मातारानी महालक्ष्मी कुलदेवी का प्रकट उत्सव 6 अक्टूबर शुक्रवार को धूमधाम से मनाएग। समाज अध्यक्ष प्रकाश व्यास ने एक जानकारी में बताया कि 6 अक्टूबर शुक्रवार को माता रानी महालक्ष्मी का चल समारोह सायंकाल 7:30 बजे श्रीमालीवास स्थित श्रीमाली ब्राह्मण धर्मशाला से शहर में स्थित चारों महालक्ष्मी मानक चौक महालक्ष्मी, पैलेस रोड स्थित महालक्ष्मी, कॉलेज रोड स्थित मठ महालक्ष्मी एवं श्रीमालीवास पुनेश्वर महादेव मंदिर स्थित महालक्ष्मी पर समाजजन पहुंचकर माता रानी की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे रात्रि 12:00 बजे श्री श्रीमाली ब्राह्मण समाज धर्मशाला में महाआरती एवं प्रसादी वितरण किया जाएगा। समाज के सचिव अविनाश व्यास ने बताया कि प्रतिवर्ष झांकियौ का कारवां शहर के मध्य गुजरता है और शहरवासी धर्म लाभ लेते हैं। कोषाध्यक्ष चेतन व्यास ने बताया कि इस बार निकलने वाली मां लक्ष्मी की झांकी प्रबंध कार्यकारिणी समिति द्वारा एवं जल अभिषेक भोलेनाथ की झांकी श्री दीप सरोज यशपाल जोशी (दुबई) की ओर से निकली जाएगी। गुरुवार को सायंकल 4:00 बजे चुनरी यात्रा श्री श्रीमाली ब्राह्मण समाज महालक्ष्मी मंडल की अध्यक्ष रजनी व्यास के सानिध्य में पैलेस रोड स्थित महालक्ष्मी मंदिर से प्रारंभ होकर चारों महालक्ष्मी मंदिर पर जाकर चुनरी मातारानी को चढ़ाएगी, तथा आशीर्वाद प्राप्त करेगी। प्रबंधन कार्यकारी समिति के स्मिथ ओझा उपाध्यक्ष सदस्य विभोर कोटिया, मयंक दवे, अखिलेश व्यास, अरुणेश व्यास, उपेंद्र ओझा, सुभाष जोशी ने सभी समाजजनों से समाज के इस गौरवशाली कार्यक्रम एवं मातारानी की आराधना में चल समारोह में उपस्थित होने की अपील की है।महर्षि पंडित संजयशिव शंकर दवे ने बताया कि भादृ पद शुक्ल पक्ष की अष्टमी से अश्विन कृष्ण अष्टमी तक भगवती महालक्ष्मी का “श्री महालक्ष्मी व्रत” मनाया जाता है,यह व्रत 16 दिनों का होता है शास्त्रों पुराणों में इस व्रत का अधिक बहुत बतलाया गया है, इस व्रत द्वारा धर्म ,अर्थ, काम, मोक्ष तक की प्राप्ति होती है ,महिलाएं व्रत रखती है, तथा महिलाएं इस दिन उद्यापन कर गोनी को भोजन प्रसादी कराती है।वरिष्ठ समाजजन एवं पूर्व चुनाव अधिकारी दुष्यंत व्यास ने बताया कि श्रीमाली ब्राह्मण समाज का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है रतलाम की स्थापना के समय श्री श्रीमाली ब्राह्मण समाज बसंत पंचमी पर रतलाम रियासत काल के साथ भीनमाल व जोधपुर से राजा रतनसिंह जी के साथ में यहां पर श्रीमालीवास मोहल्ले में निवासरत हुए राजा के साथ ही राजवंश के विशेष राज्य कार्य व संयुक्त रूप से युद्ध सहित सभी कार्यों में श्री श्रीमाली ब्राह्मण समाज सक्रिय रहा प्रारंभिक तौर पर तो समाजजन रेलवे में रहे, लेकिन वर्तमान में बच्चे युवा होकर आईटी सेक्टर कंपनियों में मेडिकल एवं अन्य कायों से देश-विदेश में कार्यरत है।