वाणी की मधुरता स्व और पर के जीवन में शांति और सुख घोलती है – उप प्रवर्तक गौतममुनिजी मसा.

हैदरबादा । श्रावण की वाणी में अमृत बहना चाहिए । वाणी की मधुरता स्व और पर के जीवन में शांति और सुख घोले वाली होती है । पहले बुद्धि से वचनों की परखो फिर उनका उपयोग करें । बिना वचनों को परखो जो बोल देता है वह बदनामी अपने सिर पर ढो लेता है । जो व्यक्ति दूसरों का पथप्रदर्शन करते है उनकी वाणी कल्याणकारी होती है । वीतराग की वाणी कल्याणकारी होती है । वीतराग की वाणी हमारे जीवन की मार्गदर्शक है । वीतराग की वाणी सुनने के बाद सदबुद्धि की उपज होती है । भगवान की वाणी लाखों को इस संसार सागर से तिराने वाली होती है । जिनवाणी के श्रोता जिनदर्शन का पुण्य प्राप्त है । अगर का आत्मा उद्धार करना है तो जिनवाणी का रसपान करें । उक्त उदगार श्री जैन श्रावक संघ कोरा छावरी के तत्वाधान में आयोजित धर्म सभा में उप प्रवर्तक गौतममुनिजी म.सा. ने व्यक्त किए । आपने कहा कि रिश्तों की डोर को मजबूत करने के लिए मधुर वाणी आवश्यक है । कोई व्यक्ति कितना भी दु:खी क्यों न हो, अगर उसके साथ बैठकर दो मीठे बोल बोले जाएं तो उसका भी दुख भी सुख में परिवर्तित हो जाएगा । मधुर वचन दु:ख हरण करने वाले होते है। प्रवचन सभा को आगे बढ़ाते हुए मेवाड़ रत्न वैभवमुनिजी म.सा. ने कहा कि भक्ति उन्ही की होती है जिनमें भगवान सत्ता मौजूद रहे अरिंहत प्रभु ने अपनी भगवन सत्ता को इस प्रकार प्रगट किया कि तीनों लोगों में वंदनीय और पूजनीय हो गए ।
कृत्रिम अंग वितरण किए गए
प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री जैन श्रावक संघ, कोरा छावनी के तत्वाधान में मेवाड़ भूषण प्रतापमलजी म.सा. के सुशिष्य उप प्रवर्तक गौतममुनिजी म.सा. प्रथम व मेवाड़ रत्न वैभवमुनिजी म.सा. के सानिध्य में ध्यान गुरू आचार्य डॉ. शिवमुनिजी म.सा. के 79 वें जन्मोत्सव पर एवं जैन दिवाकरीय संघ नायक उपाध्याय मुलमुनिजी म.सा. की 99 वीं जन्मजयंती के उपलक्ष्य में कृत्रिम अंग वितरण शिविर का आयोजन श्री नेमीचंद धापुदेवी पोकरणा जैन चैरिटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से किया गया । आयोजित शिविर का संयोजक संस्था भारत विकास परिषद आदेश्वर शाखा, सिंकरादाबाद है ।