गुरु की महिमा अनंत है-साध्वी श्री अनंतगुणा श्रीजी म.सा.

रतलाम 21 जुलाई । आज रविवार को सौ.वृ.त. श्री राजेंद्र सूरि त्रिस्तुतिक जैन श्वेतांबर श्री संघ एवं चातुर्मास समिति द्वारा नीम वाला उपाश्रय खेरादी वास में रतलाम नंदन प. पू .श्री 1008 जैन मंदिर के प्रेरणादाता, राष्ट्र संत कोकण केसरी गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेन्द्र सुरिश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती एवं मालवमणि पूज्य साध्वी जी श्री स्वयं प्रभाश्री जी म.सा. की सुशिष्य रतलाम कुल दीपिका शासन ज्योति साध्वी जी श्री अनंत गुणा श्रीजी म.सा, श्री अक्षयगुणा श्रीजी म.सा. श्री समकित गुणा श्री जी म.सा. श्री भावित गुणा श्री जी म.सा. उपासना में विराजे हैं जिनका चातुर्मास कल विशेष कर धर्म आराधना का मौसम है चातुर्मास में नित्य प्रवचन वह रविवार महा मांगलिक व विशेष प्रवचन हुए।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर साध्वी श्री अंनतगुणा श्री म.सा.ने अपने प्रवचन में कहां कि गुरु भी पूर्ण मां होते है। जीवन में गुरु 3 प्रकार की होते हैं पहले गुरु मां होती है, दूसरे गुरु पिता होते हैं और तीसरे गुरु सतगुरु होते हैं मां बच्चे को संस्कार देती हैं, पिता गुरु के रुप में लालन पालन करते हैं और सतगुरु आध्यात्मिकता का रास्ता दिखाते हैं आत्मा को परमात्मा की यात्रा जो कराते हैं वह सतगुरु है पत्थर को भी प्रतिमा बनाते हैं वह गुरु होते हैं। गुरु की महिमा अनंत है। जैसे मोहन विजय म. सा. जी के नाम से मोहनखेड़ा पड़ा। उनका जब जन्म हुआ था तब वह न बोल सकते से,न ठीक से सुनाई देता था । जैसे निर्जीव वस्तु होती तरह से थे। उनके माता पिता ने गुरु के पास में गए और गुरु ने बोला मैं उसको ठीक कर देता हूं तो तुम मुझे क्या यह बालक दे दोगे। दोनों माता पिता ने हां कर दिया तत्पश्चात गुरु ने वाक्षेप डाला और उनकी शरीर में हलचल प्रारंभ हो गई वही आगे जाकर मोहन विजय म. सा. बने फिर गुरुदेव ने दीक्षा दी और हर क्षण मोहन की चिंता करते रहते थे। राजगढ़ से 2- 3 किलोमीटर दूर एक खेडा था। गुरु ने उस खेड़ा का नाम मोहन रखा। आज आप सब लोग मोहनखेड़ा तीर्थ अच्छी तरह से जानते हैं।
शिष्य के ह्रदय में गुरु तक जाए वह तो सामान्य बात है परंतु गुरु के ह्दय में शिष्य बैठ जाए यह बड़ी बात है। गुरु जब जब शिष्य की दुर्गति को का नाश करते हैं तो वह दुर्गा कहलाते हैं गुरु जब लक्ष्य तक पहुंचाते हैं तो उन्हें लक्ष्मी कहते हैं जो गुरु को समर्पित हो जाता है उसे जीवन में भटकने की जरूरत नहीं रहती गुरु का आशीर्वाद मिल जाता है तो जीवन संवर जाता है। उक्त विचार रखें।आज प्रातः काल 9:00 बजे कलश स्थापना व खंड ज्योति की स्थापना संपन्न हुई। सौ. वृ.त. त्रीस्तुतिक जैन श्री संघ एवं राज अनंत चातुर्मास समिति, रतलाम समाज जन से आग्रह करता है कि अधिक से अधिक पधार कर धर्म लाभ लेवे।