रतलाम 14 अगस्त । सौ.वृ.त. श्री राजेंद्र सूरी त्रिस्तुतिक जैन श्वेतांबर श्री संघ एवं चातुर्मास समिति द्वारा नीम वाला उपाश्रय खेरादी वास में रतलाम नंदन प. पू .श्री 1008 जैन मंदिर के प्रेरणादाता, राष्ट्र संत कोकण केसरी गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेन्द्र सूरीश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती एवं मालवमणि पूज्य साध्वी जी श्री स्वयं प्रभा श्री जी म.सा. की सुशिष्य रतलाम कुल दीपिका शासन ज्योति साध्वी जी श्री अनंत गुणा श्रीजी म.सा,श्री अक्षयगुणा श्रीजी म.सा. श्री समकित गुणा श्री जी म.सा. श्री भावित गुणा श्री जी म.सा. उपासना में विराजे हैं जिनका चातुर्मास में नित्य प्रवचन चल रहे हैं।
इसी तारतम्य में आज बुधवार को साध्वी श्रीसाध्वी श्री अनंत गुणा श्री जी ने अपने मंगल व्याख्यान में बताया कि आप लोग 9 दिन में नवकार साधना कर रहे हो तो दो चीज जीवन में रखना है।मस्तिष्क में आइस रखना और जीवन में मिठास रखना चाहिए। यह नवकार मंत्र किसी का बनाया हुआ नहीं है यह शाश्वत मंत्र है।विश्व के केंद्र में जिन शासन है, जिन शासन के केंद्र में सिद्ध चक्र है, सिद्ध चक्र की आराधना में नवकार है हर 6 महीने में आप लोग साधना करते हो हदय रूपी कमल के अंदर नवकार अरिहंत को स्थापित करो। नवकार अरिहंत कहो या नवकार कहो एक ही बात है हम सुनते तो है पर समझते नहीं,समझना जरूरी है। जब तक समझोगे नहीं आराधना साधना में प्रवेश कैसे करोगे और प्रवेश नहीं किया तो भव पार कैसे होगा। उद्यापन करते हो तो नवकार मंत्र के अधिकारी बन जाते हो। अज्ञानी रहना नहीं है अपने को हंसते-हंसते जाना है रोते-रोते नहीं जाना है। सिद्ध चक्र के केंद्र में नव पद है,नव पद के केंद्र में अरिहंत है,अरिहंत के केंद्र में करुणा है,और जिसके जीवन में करुणा नहीं है वह आराधना का अधिकारी नहीं है करुणा रखना चाहिए।जब तक आप मे करुणा नहीं है आपको कुछ मिलने वाला नहीं है।
जिन शासन में बताया है कि मंदिर में जब जाओ तो अच्छे वस्त्र आभूषण पहन के जाओ और आप लोग उल्टा करते हो लाली, लिपस्टिक लगा के जाते हो वह इतने गंदे तरीके से बनती है कि उसको बोल नहीं सकते इसलिए लाली, लिपस्टिक और फैशनेबल चीज से दूर रहो अच्छे से भगवान की आराधना साधना करो। उस करुणा को अपने जीवन में उतरना है करुणा जीवन में आ जाएगी तो कर्म बंधन से मुक्त हो जाओगे। पति-पत्नी दोनों एक जैसे हो तो गाड़ी चल जाती है नहीं तो अटक जाती है अपने को नम्रता लाना है जीवन का परिवर्तन लाना है आत्मा का परिवर्तन लाना है आपको ज्ञान देते हैं तो हमें भी रिवीजन करना पड़ता है।यह प्रवचन आपके लिए भी है और हमारा इसमें चिंतन मनन और स्वाध्याय होता है।
साध्वी श्री समकित गुणा श्री ने अपने प्रवचन में नवकार मंत्र के बारे में बताएं कि नवकार मंत्र की साधना शुद्ध मन से करना चाहिए।जाप करते समय मन इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए। नवकार मंत्र में 108 गुण आ जाते हैं इसलिए 108 बार गिनना है।इसका एक अक्षर ” न ” भी ले लेते हो तो कितने भाव के पाप नष्ट हो जाते हैं। नवकार मंत्र का जाप करने वाले के घर में शांति, पुष्टि, तुष्टि आदि उसके घर में रहती है। एक पद से 50 सागरोपण का पाप नष्ट हो जाता है। सागरोपण का मतलब है लंबा समय और पूरा मंत्र एक बार उच्चारण करते हो तो 500 सागरोपन का पाप नष्ट हो जाता है।108 बार या एक माला गिनने से 54000 सागरोपम का पाप नष्ट हो जाता है। आप लोगों से ज्यादा अजैन लोग जप करते हैं और यह लोग मंत्र गुप्त रखते हैं। जन्म से ही आपके पास में मंत्र है परंतु अपने श्रद्धा नहीं है इसलिए कुछ फल नहीं मिलता। इसी को लेकर मसा.ने मुस्लिम समाज के एक व्यक्ति की कहानी सुनाई। और 1 लाख नवकार मंत्र करने से जैन शासन में जो भी विधि बताई है करने से तीर्थंकर नाम बांध लेते हैं।जितने भी महापुरुष में उन्होंने नवकार मंत्र से ही मोक्ष पाया है।कल बताएंगे कितने नवकार मंत्र गिनना चाहिए।
साध्वी श्री अनंत गुणा श्री मसा ने करुणा कैसी होती है और उससे क्या-क्या प्राप्त होता है कल स्वतंत्रता दिवस का दिन है उसको लेकर भी प्रवचन दिया जाएगा।
सौ. वृ.त. त्रीस्तुतिक जैन श्री संघ एवं राज अनंत चातुर्मास समिति, रतलाम के तत्वाधान में बड़ी संख्या में श्रावक एवं श्राविकाए उपस्थित थी।