राष्ट्रपति पुरूस्कार से पुरूस्कृत जैन दार्शनिक विद्वान डॉ. सागरमल जैन ने संथारा ग्रहण किया, 60 से अधिक लिख चुके है पुस्तक

शाजापुर । संतों को साहित्य सिखाकर डॉक्टरेट की डिग्री दिलवाने वाले जैन दार्शनिक, चिंतक, लेखक एवं स्थानीय प्राच्य विद्यापीठ शोध संस्थान के निर्देशक डॉ. सागरमल जैन ने संथारा ले लिया। 30 नवंबर की शाम 5 बजे वे नई सड़क स्थित मकान के ऊपरी कमरे में चले गए थे। इससे पूर्व 6 साल पहले डॉ. जैन की पत्नी कमला जैन ने भी संथारा लेकर ही देह त्याग कर दी।
डॉ. जैन के बेटे पीयूष जैन ने बताया कि पिताजी ने खुद आगे रहकर अपनी इच्छा से संथारा लिया है। यानी अब उन्होंने शरीर से अपना मोह छोड़ दिया। ऐसे में उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें दवाई से लेकर आहार व पानी तक कुछ भी नहीं दिया जा सकता।
साध्वी प्रियदर्शना श्रीजी आदि ठाणा-7 के सान्निध्य में उन्हें धर्म का पाठ ही सुनाया जा रहा है। जैन ने बताया कि इससे पहले शहर में अब तक सिर्फ मेरी मां ने ही संथारा लिया था। उनके पहले 11 साल पहले भी संथारा लिया गया, लेकिन बाद में उनके स्वास्थ्य में सुधार हो गया था। संथारा जैन समाज में सबसे बड़ा महत्व होता है।
1964 से 1989 तक शासकीय सेवा व दर्शन शास्त्र में इंदौर, ग्वालियर, भोपाल में पढ़ाया। इसके बाद 1979 से पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी में डॉ. जैन ने 18 साल तक सेवाएं दी। 1998 से शाजापुर में प्राच्य विद्यापीठ की स्थापना कर यहां शिक्षण शुरू कराया। इस दौरान अब तक उन्होंने हिंदी, इंग्लिश और प्राकृत भाषा में 67 पुस्तकें लिखी। करीबन 40 साल के अंतराल में करीबन 50 से अधिक लोगों को जैन, बौद्ध व हिंदू धर्म पर पीएचडी कराई। डॉ. जैन ने हमीदिया कॉलेज में रहते हुए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी पढ़ाया है।
उल्लेखनीय है कि जैन दार्शनिक, चिंतक, लेखक डॉ. सागरमल जैन को दुर्लभ प्राकृत भाषा और साहित्य में उत्कृष्ट योगदान पर वर्ष 2018 में राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चुना गया। बाद में 4 अप्रैल 2019 को उन्हें उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने इस पुरस्कार ने नवाजा। दिल्ली की अशोका होटल में अलंकरण समारोह कार्यक्रम के दौरान 5 लाख रुपए का चेक एवं अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
राष्ट्रपति से पुरस्कृत डॉ. जैन ने जैन धर्म को देश के अलावा विदेशों तक भी पहुंचाने का काम भी किया है। डॉ. जैन ने शिकागो, राले, ह्यूस्टन, न्यूजर्सी, उत्तरी कैरोलिना, वाशिंगटन, लॉस एंजिल्स, फिनीक्स, सेंट लुईस, पिट्सबर्ग, टोरंटो, न्यूयार्क, कनाडा, लंदन आदि जगह जैन धर्म पर व्याख्यान दिए। साथ ही लंदन विश्वविद्यालय में जैन योग पर व्याख्यान दिया। कुछ साल पहले शाजापुर आगमन पर शिवराजसिंह चौहान ने खुले मंच से यह बात कही थी। उस समय उन्होंने डॉ. जैन को सम्मानित भी किया था।