भगवान महावीर स्वामी के 2550 वें निर्वाण दिवस दीपावली के अवसर पर हर्षित चौरड़िया द्वारा निर्वाण भूमि विश्वप्रसिद्ध पावापुरी जलमंदिर को प्रदर्शित करती हुई रंगोली बनाई गई

खाचरौद । तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2550 वें निर्वाण दिवस दीपावली के अवसर पर खाचरौद नगर के हर्षित चौरड़िया द्वारा उनकी निर्वाण भूमि विश्वप्रसिद्ध पावापुरी जलमंदिर को प्रदर्शित करती हुई रंगोली बनाई गई।
चौरड़िया ने बताया कि वर्ष 2024 जैन संस्कृति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त करे 2550 वर्ष पूरे हो रहे हैं। महावीर स्वामी अपने जीवन के अंतिम समय में बिहार क्षेत्र की पावापुरी नगरी में वर्षावास कर रहे थे। सतत 48 घंटों तक अपने भक्तों को अंतिम प्रवचन फरमाकर दिवाली के दिन अपने भौतिक स्वरूप का त्याग कर मोक्ष प्राप्त किया। पावापुरी स्थित जल मंदिर वह स्थान है जहाँ महावीर स्वामी की देह का अग्निसंस्कार किया गया था। कहा जाता है की अंतिम संस्कार सम्पन्न होने के बाद सेंकड़ों भक्त उस स्थल से पावन मिट्टी खोदकर ले गए, जिस वजह से वहां एक तालाब बन गया। कालांतर में वहां संगमरमर के पत्थरों से एक सुंदर मंदिर बनवाया गया, जिसमें महावीर स्वामी के चरण चिन्ह स्थापित हैं। कमल के फूलों से भरे तालाब के बीचों बीच चमकते धवल मंदिर का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। प्रतिवर्ष दिवाली की रात्रि में अनेक जैन धर्मावलंबी पावापुरी जल मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।