रतलाम 14 दिसंबर । परम पूज्य गणिवर्य कल्याणरत्न विजय जी म. सा. की शुभा निश्रा में मुमुक्षु उर्वी कुमारी मेहता की भगवती दीक्षा जैन स्कूल के प्रांगण में एक भव्य समारोह में संपन्न हुई। परम पूज्य गणिवर्य प्रातः 7:00 बजे अपने विशाल परिवार के साथ हनुमान रुंडी से गाजते बाजते समाजजन के साथ जैन स्कूल पहुंचे, जहां सैकड़ों की संख्या में समाजजन द्वारा गुरुदेव की भव्य अगवानी की गई। गुरुदेव के मुखारविंद से नवकार मंत्र एवं मंगलाचरण के साथ दीक्षा विधि शुभ मुहूर्त में प्रारंभ हुई। दीक्षा विधि की स्वर्ण पुस्तिका गुरुदेव को वीरू प्रीति वाला पिपलिया परिवार द्वारा वोहराई गई। दीक्षार्थी को संयम जीवन में उपयोग में आने वाले विभिन्न उपकरण चरवला, मुंहपत्ती, आसन वोहराने का लाभ वर्धमान राजमल जी मांडोत परिवार जावरा द्वारा लिया गया। इसके बाद गुरुदेव द्वारा आत्म रक्षा मंत्र पढने के बाद मुमुक्षु उर्वी मेहता द्वारा प्रभु के समक्ष तीन प्रदक्षिणा दी गई। दीक्षा मतलब पवित्र आत्मा – यह विश्व की अंतिम ताकत है। अतः समस्त पवित्र आत्माओं को स्मरण करते हुए देव वंदन किया गया एवं गणिवर्य कल्याणरत्न विजय जी म. सा. ने नंदी सूत्र का श्रवण कराया। इसके बाद संयम जीवन में काम में आने वाले उपकरण काम्बली, कपड़ा साडो, आसन, संथारा, उत्तरपट्टा, पोथी, नवकार वाली, पात्रा, तर्पणी, चरवली, सुपडी, पूंजी, डाण्डा एवं दंडासन वोहराने की बोली विभिन्न लाभार्थी परिवार द्वारा बढ़ते भाव से ली गई।
इस अवसर पर पूज्य गणिवर्य कल्याणरत्न विजय जी म. सा. ने फरमाया कि सच्चा सुख उसको कहते हैं जो परमानेंट मिले एवं रहे। जो टेंपरेरी सुख मिल रहा है वह सुख नहीं है, सुख आत्मा के गुण में है। शांत मन भौतिक सुख का महासमुंद्र है। मन को सकारात्मक रखना शक्ति का महासमुद्र है एवं इस मन को इच्छा से मुक्त रखना आध्यात्मिक सुख का महासमुद्र है। अतः इच्छाओं को कंट्रोल करके सही राह पर चला जा सकता है। जैसे ही मुमुक्षु उर्वी मेहता ने वेश परिवर्तन करके साध्वी जी के वेश में पंडाल में प्रवेश किया चारों ओर जय-जय कार होने लगी। इसके बाद विधि विधान से केश लोचन की क्रिया संपन्न हुई। इस अवसर पर नूतन साध्वीजी के नामकरण की घोषणा गुरुदेव की आज्ञा से रिया मेहता, जिया मेहता और अपूर्व आदि भाई बहन द्वारा की गई एवं नवीन साध्वी जी का नामकरण साध्वी श्री शशांक निर्मलाश्रीजी रखा गया। इस अवसर पर उपस्थित हजारों की संख्या में श्रावक श्राविकाओं द्वारा चावल से नूतन साध्वीजी की वधावना की गई। इस अवसर पर प्रथम गुरु पूजन का लाभ मन्नालाल सूरजमलजी सकलेचा परिवार द्वारा लिया गया।
इस अवसर पर निर्मल लुनिया, मुकेश जैन, अशोक चोपड़ा, प्रदीप डांगी, विजय सुराना, पप्पू मुंबई वाला, राकेश सकलेचा, अविजीत सुराणा, अभय सुराणा, अनराज मारवाड़ी, संजय पारख, जयंतीलाल कटारिया, प्रदीप पीपाड़ वाला, अमृत जैन, आनंदीलाल नाहर, विपिन पितलिया, मोनू जगावत, मीत जगावत, अभिनव गेलड़ा, विजय मेहता, राजेश गांधी, मुकेश गांधी आदि हजारों की संख्या में श्रावक श्राविकाओं द्वारा धर्म लाभ प्राप्त किया।
आराधना भवन अध्यक्ष अशोक लुनिया, सचिव हिम्मत गेलड़ा ने बताया कि पूज्य गुरुदेव की निश्रा में रतलाम से पलसोड़ा, सेमलियाजी तीर्थ का 2 दिन का छरी पालक संघ निकाला जाएगा, जिसका संपूर्ण लाभ पिस्ताबाई कन्हैयालाल श्रीश्रीमाल (आदेश्वर सेल्स एजेंसीज) एवं राजेश राकेश कुमार मेर परिवार द्वारा लेने की घोषणा की गई। दीक्षा महोत्सव को सफल बनाने में आराधना भवन ट्रस्ट श्रीसंघ,आराधना भवन सेवा समिति, चंद्रवीर परिवार, प्रवचन परिवार एवं मेहता परिवार मित्र मंडल का सराहनीय योगदान रहा। परम पूज्य गुरुदेव कल्याण रत्नविजय जी म. सा. के प्रवचन 15 दिसंबर से प्रातः 09:15 बजे से शांति नगर में होंगे। कार्यक्रम का सफल संचालन अमृत जैन द्वारा किया गया।