हमारी आध्यात्मिक और शारीरिक ऊर्जा का स्रोत है ध्यान और योग

प्रथम अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस पर आर्ट ऑफ लिविंग एवं परस्पर संस्था द्वारा किया गया आयोजन

रतलाम । ध्यान हमारी शारीरिक आंतरिक आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रथम स्त्रोत केंद्र है ध्यान के द्वारा हम मन को स्वस्थ, तन को मजबूत और विचारों को आध्यात्मिक ऊर्जावान बनाकर दैनिक दिनचर्या निर्धारित कर सकते हैं। ध्यान शरीर को तनाव मुक्त, भार मुक्त एवं क्रियाशील बनाए रखने के लिए पर्याप्त क्रिया है जो मनुष्य को नवीन विचारों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करता है ।
उक्त विचार प्रथम अंतर्राष्ट्रीय दिवस 21 दिसंबर के अवसर पर संस्था आर्ट ऑफ लिविंग और परस्पर द्वारा आयोजित संयुक्त ध्यान शिविर में ध्यान शिक्षक चंद्रेश भाग्यवानी ने व्यक्त किये । आपने कहा कि हम ध्यान के द्वारा अनेकों बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं मनुष्य के जीवन को स्वस्थ एवं खुशहाल ध्यान और योग दोनों से बनाया जा सकता है ।
संस्था के परामर्शदाता दिनेश शर्मा ने कहा कि योग और ध्यान हमारे दैनिक जीवन चर्या का महत्वपूर्ण अंग होना चाहिए । मन को स्थिर और शांति के साथ विचारशील बनाए रखने के लिए ज्ञान की अत्यंत आवश्यकता है। कार्यक्रम के विशेष अतिथि संजय दलाल, हरेंद्र सिंह वाघेला मंचासीन थे।
महेश अग्रवाल ने स्वागत भाषण देते हुए प्रधानमंत्री जी को अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस की घोषणा करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
अतिथियों का स्वागत प्रोजेक्ट प्रभारी महेश व्यास, परस्पर के संरक्षक अभय सुराणा, मनीष बोहरा, शैलेंद्र व्यास, कप्तान अमित डांगी, सुभाष नागोरी, मितेश खिमेसरा, जीवन जैन, रमेश पोरवाल, दशरथ पोरवाल, आशीष राखेचा, जगदीश सोनी, श्रेयांश जैन, चंदन राठौर, अभिसार हाडा आदि ने किया । कार्यक्रम का संचालन सचिन मिलन राखेचा ने तथा आभार चंदन राठौड़ ने व्यक्त किया ।

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