- पार्श्व गायक मो. रफी के 101वें जन्मदिवस पर ‘तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे’ का हुआ आयोजन, 3 घंटे से ज्यादा चला गीत-संगीत की प्रस्तुति का दौर
- अनुनाद सांस्कृतिक सेवा एवं जनकल्याण समिति ने विभिन्न क्षेत्रों में श्रेष्ठ कार्यों के लिए 7 शख्सियतों का किया सम्मान
रतलाम । अनुनाद सांस्कृतिक सेवा एवं जनकल्याण समिति द्वारा पार्श्व गायक मोहम्मद रफी का 101वां जन्मदिवस बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर गीत-संगीत से ओत-प्रोत ‘तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे’ का आयोजन किया। इस दौरान संस्था द्वारा साहित्य, कला, समाजसेवा, खेल, शिक्षा, चिकित्सा एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने वाली शख्सियतों का अभिनंदन भी किया गया।
स्थानीय कैलाशनाथ काटजू विधि महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्र, राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्रसिंह पंवार, समाजसेवी एवं अनुनाद संस्था के संरक्षक विनीता ओझा एवं सेवानिवृत्त बैंककर्मी नरेंद्रसिंह डोडिया ने मां सरस्वती को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया। अतिथियों का स्वागत अनुनाद सांस्कृतिक सेवा एवं जनकल्याण समिति के संयोजक नरेश यादव, अध्यक्ष अजीत जैन, विक्की अग्रवाल (केसर बुटीक), सुरेन्द्र शर्मा, जयंत उपाध्याय आदि ने किया।
इनका हुआ सम्मान
समारोह में अनुनाद संस्था द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, रंगकर्मी एवं पूर्व प्राचार्य ओमप्रकाश मिश्र, शिक्षक विनीता ओझा, अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेंद्र सिंह चाहर, जनसेवी सुरेशसिंह तंवर, प्रभाकर राव तथा पत्रकार एवं एसीएन टाइम्स के संपादक नीरज कुमार शुक्ला को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। सभी को अनुनाद सांस्कृतिक सेवा एवं जनकल्याण समिति के संयोजक नरेश यादव, अध्यक्ष अजीत जैन, विक्की अग्रवाल (केसर बुटीक), सुरेन्द्र शर्मा, रतन कोल्हे आदि ने शॉल-श्रीफल प्रदान किए।
शून्य को भरने का काम किया अनुनाद संस्था ने- डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला
अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने कहा कि बाहर होने वाले सम्मान की अपेक्षा अपने घर में जो सम्मान होता है उसका मूल्य बहुत ज्यादा होता है। उन्होंने बताया कि ‘मैंने कर्मभूमि के रूप में रतलाम को खुद चुना। रतलाम ने मुझे बहुत दिया है, मैं इसका ऋणी हूं। मैं साहित्य के क्षेत्र में जो कुछ भी कर पाया हूं, वह कहीं और नहीं कर सकता था। यहां इसलिए कर पाया क्योंकि यहां जयकुमार जलज, स्वयंप्रकाश उपाध्याय, भंवरलाल भाटी और अज़हर हाशमी जैसी शख्सियतें यहां रही हैं। अच्छे विद्यार्थी भी मिले जिन्होंने हमें और हमारी जरूरतों को पोषित किया। अनुनाद संस्था ने रतलाम में बहुत भारी शून्य को भरने का काम किया है। साहित्य और संस्कृति शहर हो या व्यक्ति, उसे सम्मान अवश्य दिलाती है।
मैंने कुछ नहीं किया, सिर्फ प्रतिभाओं को आगे बढ़ाया- ओमप्रकाश मिश्र
रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्र ने कहा कि ‘एक बार किसी ने चीफ जस्टिस लाहौटी से पूछा था कि मनुष्य सबसे ज्यादा कब गौरवान्वित महसूस करता है। तब उन्होंने कहा था कि- जब घुटनों को छूने वाले हाथ कंधे तक पहुंच जाएं तब मनुष्य ज्यादा गौरवान्वित महसूस करता है। मिश्र ने कहा कि मैंने कुछ भी नहीं किया, सिर्फ पहचान कर प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें धक्का भर दिया। जो कुछ किया, प्रतिभाओं ने किया है, मेहनत उनकी और प्रतिभा भी उनकी। अनुनाद संस्था प्रतिभाओं को आगे बढ़ा रही है, यह काम आसान नहीं है। मिश्र ने श्रोताओं की मांग पर ‘ए भाई, जरा देख के चलो…’ गीत भी प्रस्तुत किया।
इन्होंने भी संबोधित किया
सम्मान के प्रत्युत्तर में शिक्षिका विनीता ओझा, जनसेवी सुरेशसिंह तंवर, पत्रकार नीरज कुमार शुक्ला, प्रभाकर राव, अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेंद्र सिंह चाहर एवं सुरेंद्र शर्मा ने भी संबोधित किया। सभी ने अनुनाद संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए संस्था के पदाधिकारियों और सदस्यों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और सभी कलाकारों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
इन्होंने दी प्रस्तुति, झूमें संगीत प्रेमी
पार्श्व गायक को स्वरांजलि देने के लिए शुरू हुई गीत-संगीत निशा तीन घंटे से भी ज्यादा समय तक चलती रही। इस दौरान संस्था के कलाकारों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों पर उपस्थित स्रोता झूम उठे। अशोक शर्मा, नरेश यादव, संजय चौधरी, कुलदीप शर्मा, संजय सरल, मनोज जोशी, नरेंद्र सिंह शेखावत, गिरीश शर्मा, विनोद सोलंकी, परम सिसौदिया, रिदम मिश्रा, अवनि उपाध्याय, सुनीता नागदे एवं शैली चंदेले ने मो. रफी द्वारा गाए गीतों की सुमधुर प्रस्तुत दी। इनके साथ विभिन्न साज़ों पर संगत महेश बैरागी, दिलीप व्यास, रमन सिंह हारोड़, राजेश बैरागी, कृष्णकांत एवं चयन बैरागी ने की। संचालन नरेंद्र त्रिवेदी ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या संगीत प्रेमी और गणमान्यजन मौजूद रहे।