सीएचएमओ. डाॅ.एम.एस.सागर को नोटिस कि-क्यों ना अवमानना के लिये दण्डित किया जाए
रतलाम 12 मार्च। म.प्र. उच्च न्यायालय की इंदौर खण्डपीठ के न्यायमुर्ति प्रणय वर्मा ने जावरा निवासी नजमा पति मोहम्मद अनवर के पक्ष में 20 सितंबर 2023 को पारित आदेश का पालन नहीं करने पर स्वास्थ्य विभाग के समस्त उच्च अधिकारीयों को न्यायालय के आदेश का जानबुझकर पालन नहीं करने का दोषी माना है। अवमानना याचिका क्रमांक 1243/2024 की गत 5 मार्च को सुनवाई करते हुए सर्वप्रथम रतलाम सीएचएमओ. डाॅ.एम.एस.सागर को इस आशय का नोटिस दिया कि क्यों ना उन्हें अवमानना के लिये दण्डित किया जाए। नोटिस में उन्हें 27 मार्च 2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के आदेश दिए गए है। उक्त आदेश 11 मार्च 2025 को अपलोड हुए है।
अभिभाषक प्रवीण कुमार भट्ट ने बताया कि मोहम्मद अनवर कम्पाउण्डर के पद पर सिविल अस्पताल जावरा में पदस्थ थे। प्रारंभ में उनकी नियुक्ति वर्ष 1993 में अस्थाई रूप से की गई थी और वर्ष 2012 में उन्हें नियमित किया गया था। मोहम्मद अनवर को 10 वर्ष सेवाकाल पूर्ण होने पर नियमितिकरण का लाभ प्रदान नहीं किया गया और इसकी विभागीय कार्यवाही निरंतर थी। कोरोना महामारी के दौर में जब उन्हें कोरोना कन्ट्रोल रूम पर पदस्थ किया गया था, तब कोरोना ग्रस्त होने पर उनकी मृत्यु हो गई। उनकीं मृत्यु पर स्वास्थ्य विभाग ने विधवा पत्नी नजमा एवं उनके बच्चों को कोई राशि नहीं दी। उसके परिवार को कोरोना योद्धा योजना के अंतर्गत 50 लाख की राशि भी नहीं दी गई और 10 वर्ष सेवाकाल पूर्ण होने पर मिलने वाला नियमित वेतनमान का लाभ भी नहीं दिया।
ंमोहम्मद अनवर की पत्नी नजमा ने इससे व्यथित होकर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की थी, जो याचिका क्रमांक 16513/2023 पर पंजीबद्ध हुई। एकल न्यायपीठ ने समस्त सहायताओं के लिये याचिका स्वीकार कर मोहम्मद अनवर को 10 वर्ष सेवा काल पूर्ण होने की तिथी से नियमित मानकर समस्त लाभ देने के आदेश दिए थे। इसके विरुद्ध एकल न्यायपीठ ने ने डिविजन बेंच में रिविजन प्रस्तुत की, लेकिन उसे निरस्त कर दिया गया। ंस्वास्थ्य विभाग ने बाद में सर्वाेंच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की, जो जनवरी 2025 में निरस्त हो गई थी।
अभिभाषक श्री भट्ट ने बताया कि नजमा ने अवमानना याचिका क्रमांक 1243ध्2024 स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान,वर्तमान प्रमुख सचिव संदीप यादव, पूर्व स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. सुधीर पंधारीनाथ खाड़े, वर्तमान स्वास्थ्य आयुक्त तरुण राठी, पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आनंद चन्देलकर,ं वर्तमान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एम. एस.सागर, सिविल सर्जन एम. एस. सागर, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर शंकरलाल खराडी के विरुद्ध प्रस्तुत की थी। इसमें कई बार सुनवाई के पश्चात भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर समय चाहा जाता रहा। बीती 22 जनवरी 2025 को अंतिम अवसर दिए जाने पर भी 20 सितंबर 2023 के आदेश का पालन नहीं किया गया। इसलिए सभी वर्तमान व पूर्व अधिकारीयों को अवमानना का दोषी मानते हुए उच्च न्यायालय ने सर्वप्रथम मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅक्टर एम.एस.सागर को नोटिस जारी किया है। प्रकरण में याचिका कर्ता नजमा की पैरवी अभिभाषक प्रवीण कुमार भट्ट अधिवक्ता ने की ।