3600 में से 1540 दिन के आयम्बिल के तपस्वी मुनिराज श्री प्रियचन्द्रसागरजी का घर आँगन में हुआ पारणा

रतलाम 2 मई 2025 । ग्यारह वर्षीय साधु जीवन के 3600 दिनों में से 1540 दिन आयम्बिल तप करने वाले बंधु बेलड़ी आचार्यश्री के शिष्यरत्न रतलाम के युवा तपस्वीरत्न मुनिराज श्री प्रियचन्द्रसागरजी म.सा. की वर्धमान तप की 55 वीं ओली के पारणा महोत्सव में श्रीसंघ द्वारा तप अनुमोदना की गई।

आंगन में देख परिजन भावुक हुए

महोत्सव को बंधु बेलड़ी आचार्य श्री जिन-हेमचन्द्रसागर सूरीश्वर जी म.सा, आचार्य श्री विरागचन्द्रसागर सूरिजी म.सा, आचार्य श्री पदमचन्द्रसागर सूरिजी म.सा,आचार्य श्री आनंदचन्द्रसागर सूरिजी म.सा, एवं श्रमण श्रमणी वृंद ने निश्रा प्रदान की। थावरिया बाजार स्थित बाबा सा.जैन मन्दिर पर मुनिराज के सांसारिक परिजन श्री समरथमल चाणोदिया परिवार द्वारा तप अनुमोदनार्थ महोत्सव रखा। वर्धमान तप की 55 वीं ओली की पूर्णता पर श्रीसंघ एवं परिजनों ने तपस्वीरत्न मुनिराजश्री का अक्षत और जयघोष के साथ वधामना किया। समस्त आचार्यश्री को काम्बली भेंट की गई। चाणोदिया परिवार के घर आँगन में सांसारिक दादी प्रेमलता बाई ,माता सरोज -पिता अनिल ,भाई मयूर एवं परिजनों ने उनका पारणा करवाया। इस प्रसंग को देख परिजन भावुक हो गए। इनके परिवार में अब तक पांच से अधिक दीक्षाएं हो चुकी है। इसके पूर्व कॉलेज रोड पर चितरंजन लुणावत के निवास से चल समारोह निकला, जो थावरिया बाजार पहुंचकर महोत्सव में परिवर्तित हो गया।

तप के साथ अनुकरणीय गुरु भक्ति

आचार्यश्री ने कहा कि रतलाम के चाणोदिया परिवार रत्न ने वर्ष 2014 में सुरत में दीक्षा ग्रहण की थी। 23 साल की उम्र में से 11 साल साधु जीवन के रूप में तप और आराधना को समर्पित किये है। उन्होंने अपनी उम्र से दोगुना ओली की आराधना कर ली है। 3600 दिनों में से 1540 दिन बगैर नमक मिर्ची का उबला हुआ सादा भोजन एक बैठक में अर्थात आयम्बिल तप कोई साधारण तपस्या नहीं है। आयम्बिल तप के लिए कहा जाता है कि बगैर जीभ की दलाली किये पेट को जरूरी खुराक देना। आपने कहा कि मुनिराजश्री की न केवल तप आराधना बल्कि उनकी गुरु भक्ति,सेवा और समर्पण भी अनुकरणीय है।

आचार्यश्री की निश्रा में शनिवार को

बंधु बेलड़ी आचार्य श्री की निश्रा में 3 मई शनिवार को सुबह मोहन टाकिज क्षेत्र में रतलाम के बालमुनि मुनिराज श्री आदित्यचन्द्रसागरजी म.सा. के सांसारिक निवास पर विशाल कोठारी परिवार द्वारा गृह देरासर में परमात्मा की प्रतिष्ठा रखी गई है। इसके बाद आचार्यश्री का श्रमण परिवार के साथ बिबडोद तीर्थ में मंगल पदार्पण एवं आराधकों द्वारा तपस्या की शुरुआत की जाएगी।

सागोद तीर्थ में श्री नव्वाणू प्रकारी पूजा

सागोद तीर्थ प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। ग्यारह दिवसीय महोत्सव के तीसरे दिन श्री आदिनाथ पंचकल्याणक पूजा रखी गई । यंहा शांतिलाल- सूरजबाई की स्मृति में चांदमल मोतीलाल पोरवाल परिवार ने विधिविधान के साथ पूजन किया । इस अवसर पर भगवान श्री आदिनाथजी की विशेष रूप से आंगी की गई थी । शनिवार को श्री नव्वाणू प्रकारी पूजा रखी गई है। 4 मई रविवार को भव्य प्रवेश चल समारोह के उपकारी प्रभु एवं आचार्यश्री का सागोद तीर्थ में मंगल प्रवेश होगा।