प्रभु के देवभूमि से मातृभूमि पर अवतरण की खुशियों से गूंज उठा सागोद तीर्थ

प्रतिष्ठा महोत्सव में बुधवार को जन्म कल्याणक – दीक्षार्थी का विदाई समारंभ

रतलाम 6 मई 2025 । सागोद तीर्थ अंजन शलाका प्रतिष्ठा में प्रभु के च्यवन कल्याणक महोत्सव अंतर्गत परमात्मा का देवलोक से माता मरूदेवी की कुक्षी में अवतरण होते ही तीर्थ परिसर में खुशियाँ छा गई और ढोल, नगाड़े, शहनाईयाँ गूंज उठी। बालिकाओं द्वारा चौदह स्वप्न की प्रभावी प्रस्तुतियों ने उत्साह को दोगुना कर दिया। बुधवार को परमात्मा का जन्म कल्याणक एवं मेरु पर्वत पर 64 इंद्र द्वारा भगवान के 250 अभिषेक आदि कार्य्रकम होंगे।
श्री वीसा पोरवाल जैन श्वेताम्बर तीर्थ ट्रस्ट सागोदिया ट्रस्ट द्वारा बंधु बेलड़ी आचार्य श्री प्रतिष्ठाचार्य जिन-हेमचन्द्रसागर सूरीश्वर जी म.सा, आदि ठाणा 25 की निश्रा में आयोजित महोत्सव में पंच कल्याणक महोत्सव की शुरुआत उत्साह के साथ हुई। यंहा आचार्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागर सूरिजी म.सा, आचार्य श्री विरागचन्द्रसागर सूरिजी म.सा, आचार्य श्री पदमचन्द्रसागर सूरिजी म.सा. एवं आचार्य श्री आनंदचन्द्रसागर सूरिजी आदि ने विभिन्न आयोजनों में पूजन -अनुष्ठान विधि में मार्गदर्शन दे रहे है।

धर्म-आराधना-संयम पथ पर बढ़े

आचार्यश्री ने बताया की प्रभु का च्यवन कल्याणक का अर्थ है – देवभूमि से प्रभु का मातृभूमि पर अवतरण। अनंत जीवों पर अपनी करुणा कृपा बरसाकर उन्हें मोक्षमार्ग का पथगामी बनाने के लिए परमात्मा का अवतरण होता है। प्रतिष्ठा प्रसंग पर पंच कल्याणक महोत्सव का विशेष महत्व इसलिए है ताकि सभी उनके जन्म से लेकर निर्वाण कल्याणक तक के परम पवित्र प्रसंग के साक्षी बन कर धर्म-आराधना-संयम पथ पर आगे बढने के लिए प्रेरित हो।

विधान में भक्तिभाव से शामिल

प्रतिष्ठा महोत्सव का सातवाँ दिन नूतन देरासर में परमात्मा के च्यवन कल्याणक के रूप में मनाया गया। प्रभु के माता-पिता,इंद्र -इन्द्राणी, प्रतिष्ठाचार्य – धर्माचार्य स्थापना पूजन, देवलोक से प्रभु का माता की कुक्षी में च्यवन अवतरण, चौदह स्वप्न आदि विधिपूर्वक किये गए। देव देवी हवन के लाभार्थी श्री अमृतलाल स्व. सुभद्राबाई पोरवाल परिवार एवं मेहँदी के लाभार्थी स्व. चंचल देवी- स्व. रोशनलाल पुंजावत परिवार विधान में भक्तिभाव के साथ शामिल हुए। 7 मई बुधवार जन्म कल्याणक विधान, भगवान के 250 अभिषेक दोपहर में सभी जिनबिम्ब- गुरुबिम्ब, अठारह अभिषेक, ध्वजा दंड आदि विधान होंगे।रतलाम सहित समीपस्थ अंचल और प्रान्तों से आये समाजजन कार्यक्रम में शामिल हो रहे है।

मुमुक्षु के हाथों में रची मेहँदी

मुमुक्षु धर्मेश पिछोलिया के दीक्षा के तीन दिनी महोत्सव की शुरुआत मंगलवार को मेहँदी की रस्म के साथ हुई। यंहा साध्वी श्री सौम्ययशाश्रीजी म.सा.की निश्रा में मंगल रस्म दिक्षार्थी के परिजन आदि द्वारा पूर्ण की गई। शाम को श्रीसंघ द्वारा उन्हें उमंगपूर्वक वधाया गया। बुधवार को दिक्षार्थी के वस्त्र पर केसर के छाटे- कपड़ा रंगने का विधान, अंतिम वायणु एवं विदाई समारोह आयोजित है। उनकी दीक्षा 8 मई को सागोद तीर्थ में प्रतिष्ठा महोत्सव में होगी ।