महापुरुषों के उपदेशों को आत्मसात करना है सच्चे अर्थों में धर्म का पालन करने के समान है – राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश

राजकोट नेम नाथ नगर (जैन उपाश्रय 16 जुलाई 2021) । धर्म की उपासना पद्धति के साथ-साथ जब तक परिवार समाज और देश के प्रति इमानदारी से कर्तव्यों का समावेश नहीं होगा कब तक जन-जन में धर्म आस्था का केंद्र नहीं बन सकता। उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने धार्मिक उपासना पद्धति और कर्तव्य सेमिनार को संबोधित करते कहा कि सभी धर्मों का मुख्य लक्ष्य है वफादारी सभी के साथ जीना। उन्होंने कहा कि पूजा-पाठ नवाज करके धर्म की स्थिति मान लेना नशे की आदत की तरह धर्म को करना अज्ञान दशा है । मुनि कमलेश ने बताया कि महापुरुषों के उपदेशों को आत्मसात करना है सच्चे अर्थों में धर्म का पालन करने के समान है । राष्ट्रसंत ने दुख के साथ कहा कि विश्व में भारी संख्या में धर्म और संत होने के बावजूद मिलावट भ्रष्टाचार हिंसा आतंकवाद बलात्कार बुराइयों का नंगा नाच धार्मिकता की दुहाई देने वाले के मुंह पर करारा तमाचा है।
जैन संत ने कहा कि इंसानियत के गुणों का विकास हो पहले इंसान बने बाद में धार्मिक बने
राजकोट महानगर पालिका डिप्टी चेयरमैन को आव्हान करते हुए पर्यावरण स्वच्छता अभियान और व्यसन मुक्ति के कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए तभी वास्तविक उत्थान होगा
महानगर पालिका उप चेयरमैन दीक्षिता बहन ने राष्ट्र संत के आगमन पर महानगर पालिका की ओर से अभिनंदन किया गोरक्षा अभियान में हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया