मन में उठने वाली विषय और विकार की ज्वाला आत्मा के सद्गुणों को जलाकर स्वाहा कर देती है धार्मिक आराधना का लक्ष्य इन से मुक्ति पाने का होना चाहिए उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीम चौक रतलाम के जैन स्थानक भवन पर दीक्षार्थी परी दूगड़ के मेहंदी रस्म की धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि विकृति ही संस्कृति की कट्टर शत्रु है आत्म साधना में सबसे बड़ा बाधक तत्व है
उन्होंने कहा कि विश्व के सभी धर्मों ने एक स्वर में समाधि भावना ने के लिए विकारों से मुक्ति पाने का आव्हान किया है
राष्ट्रसंत ने कहा कि विकृत की तरंगों का असर स्वास्थ्य और प्रकृति पर पड़ता है आत्मा को दुर्गति का मेहमान बनाती है
जैन संत ने स्पष्ट कहा कि सरकार और विज्ञान के पास इनसे से मुक्ति दिलाने का कोई साधन नहीं है सिर्फ महापुरुषों की आध्यात्मिक ज्ञान के अंकुश के माध्यम से ही नियंत्रित किया जा सकता है तभी स्थाई शांति सुख समृद्धि चैन की प्राप्ति होगी
उप प्रवर्तक डॉक्टर सुभाष मुनि जी ने कहा कि ज्ञान युक्त निर्मल विचारधारा के द्वारा ही आत्मा के दुर्गुणों को दूर किया जा सकता है
उन्होंने कहा कि पंथ कर्मकांड बदलने के बजाय विचारों का परिवर्तन हो जाए तो अपने आप ही आचरण में परिवर्तन हो जाएगा पंडित राजाराम मुनि महासती पद्मिनी उप प्रवर्तीनी मंगल प्रभाजी बसंत मुनि जी सिद्धार्थ मुनि जी ने विचार व्यक्त किए उप प्रवर्तक अरुण मुनि जी ने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया महासती देवांशी विजय प्रभा जी सुदर्शना जी ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली महिला शाखा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती कल्पना मुथा औरंगाबाद राष्ट्रीय प्रचार मंत्री सरोज सुराणा औरंगाबाद के द्वारा दीक्षार्थी बहन का अभिनंदन किया गया