रतलाम। धार्मिक उपासना पद्धति के साधन और कर्मकांड को जो पाखंड मानता है वह उसकी घोर अज्ञानता है उनका उपहास उड़ाना धर्म और परमात्मा का उपहास उड़ाने के समान है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने वैराग्य वती कुमारी परी दुग्गड के श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमच चौक की ओर से पाठ स्थापना समारोह को नीम चौक जैन स्थानक मैं संबोधित करते कहा कि उपासना पद्धति के साधन की संस्कृति से आने वाली पीढ़ी के अंदर संस्कारों का बीजारोपण होता है । मुनि कमलेश ने कहा कि उपासना पद्धति हमारी संस्कृति के प्रतीक हैं जो महापुरुषों ने जिसका आध्यात्मिक ज्ञान के सहारे निर्माण किया है जो ऑक्सीजन से महत्वपूर्ण है । राष्ट्रसंत ने कहा कि आध्यात्मिक संस्कारों के बिना तीन काल में भी विश्व की संपत्ति दान देकर चरित्र का निर्माण नहीं किया जा सकता, सरकार भी चरित्र नहीं बना सकती । उन्होंने स्पष्ट कहा कि भौतिकवाद के चकाचौंध में २१वीं सदी में संतों का निर्माण होना उपासना पद्धति के साधनों का ही चमत्कार है । जैन संत ने कहा कि आज पूरा विश्व शांति की खोज में हिंदुस्तान को आशा श्रद्धा और समर्पण की निगाहों से देख रहा है लेकिन दुर्भाग्य है हमारी जनता अपनी संस्कृति के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है आध्यात्मिकता का ढोल पीट रही है महासती देशना जी, मधुस्मिता जी, चंदन बालाजी ने सभा को संबोधित किया । जैन दिवाकर कमला बहू मंडल ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया । युवा संत सिद्धार्थ मुनि जी ने मंगलाचरण किया । जैन दिवाकर अतिथि भवन में आयोजित चौबीसी एवं पाठ मिठाई के कार्यक्रम में जैन दिवाकर विचार मंच महिला मंडल, जैन दिवाकर महिला मंडल, जैन दिवाकर कमला बहू मंडल की बहनों ने भाग लिया । अध्यक्ष प्रेम कुमार मोगरा, ललित पटवा, विनोद बाफना, पंकज पटवा, जयंती लाल डांगी, सुरेश कटारिया, विजय कटारिया ने दीक्षार्थी बहन के समारोह में विशेष भूमिका अदा की । ललिता पटवा, ज्योति पटवा, स्नेह लता धाकड़, प्रतिभा कटारिया ने दीक्षार्थी का अभिनंदन किया । कल मंगलवार ४ फरवरी को दोप. १.०० बजे राष्ट्रसंत के सानिध्य में स्थानीय जेल में दीक्षार्थी बहन का प्रशासन की ओर से अभिनंदन और राष्ट्र संत के प्रवचन आयोजित होंगे ।