अक्षय तृतीया पर होने वाले वर्षीतप के सामूहिक पारणे टले

जावरा (अभय सुराणा) । कोरोना संक्रमण के खतरे एवं लाकडाउन के चलते अक्षय तृतीया पर होने वाले वर्षी तप के सामूहिक पारने सभी जगह कैंसिल हो गए हैं ।वर्षी तप आराधक जो पिछले 12 माह से इस कठिन तप को धारण कर तपस्या कर रहे थे और 26 अप्रैल रविवार को पारणे पर कोई पालीताणा कोई हस्तिनापुर इसके अलावा जहां जहां आचार्य भगवान एवं गुरु भगवंत एवं साध्वी जी विराजमान है तथ जहाँ सामूहिक पारने का आयोजन हो रहा है वहां पर परिवार एवं रिश्तेदारों के साथ जाते हैं पारणा की तैयारियों के लिए पूर्व में ही इन जगहों पर आराधक को के परिवार ने सारी बुकिंग भी करा ली थी क्योंकि इन जगहों पर तत्काल जगह उपलब्ध होना कठिन होता था इस बार न तो सामूहिक चौबीसी का आयोजन हुआ नही सामूहिक भक्ति का आयोजन हुआ नही सामूहिक मेहंदी का आयोजन हुआ। सामूहिक पारणा का जो आयोजन का दृश्य जो प्रतिवर्ष देखने को मिलता था आज कहीं नजर नहीं आ रहा है। घर पर ही परिवार के साथ बैठकर पारणा का आयोजन होगा थोड़ी खुशी थोड़ा गम भी चलेगा लेकिन सोशल डिस्टोर्टिंग बहुत जरूरी है। इसलिए कहीं भी आयोजन वृहद रूप में नहीं हो रहा है। अपनी-अपनी मान्यता अनुसार सभी आचार्य भगवंत गुरु भगवंत साध्वी मंडल वर्षी तप आराधक को अपना मार्गदर्शन एवं घर पर पारणे की विधि व अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं।
वर्षीतप पारणा और गन्ने के रस का महत्व
जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान ने 400 दिवस की यह तप आराधना करने के बाद उनके पुत्र श्रेयांश कुमार ने गन्ने का रस पीलाकर पाडऩा कराया था तब से परंपरा चली आ रही है कि वर्षीतप के पारने में सबसे पहले गन्ने का रस पिलाकर यह पारणा कराया जाता है । जैन समाज ने कई संस्थाओं के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को हर जगह पत्र लिखकर एवं प्रतिनिधि मंडल ने मिलकर गन्ने का रस उपलब्ध कराने की मांग की थी किंतु लाकडाउन के चलते हर जगह संभव नहीं हो पा रहा है। हम सभी भी वर्षीतप के आराधको की अनुमोदना घर पर बैठकर अपने सामर्थ्य अनुसार तप जप एवं दान देकर तपस्वीयो की भाव वंदना कर अनुमोदना करे। तथा पूरे देश को एक संदेश देवें कि इस संकट की घड़ी में हम सबका नैतिक दायित्व है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें एवं कोरोना महामारी को इस देश से शीघ्र भगाएं।