नि:शुल्क भोजन से पेट तो भरा पर आत्मग्लानि एवं अनिश्चितता का तनाव आया उसका क्या ?

तनाव डिप्रेशन को खत्म करने के लिए भक्ति और अहिंसक जीवन शैल विषय पर वेबीनार सम्पन्न

रतलाम । आय के स्त्रोत बंद हो जाने से भोजन का संकट आ गया । राज्य एवं केन्द्र सरकार एवं कई सामाजिक संगठनों द्वारा भोजन एवं आवश्यक वस्तुएं निशुल्क वितरित की जिससे पेट तो भरा किन्तु इससे जो आत्मग्लानि एवं अनिश्चितता का तनाव आया उसका क्या? मजदूरी करने वाले, नौकरी पेशा से लेकर छोटे-बड़े व्यापारियों सभी को नियमित खर्चो एवं आदमी बंद होने की दोहरी मार झेलना पड़ी । बिजली के बिल, मकान-दुकान का किराया, बैेंको की किश्तों आदि अन्य खर्चो से दिन का चैन एं रातों की नींद गायब हो गए । बड़े उद्योगपति भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है । ऐसे में कई कई डिप्रेशन का शिकार  होने की आशंका बन जाती है । ऐसे में इंसान प्रभु की शरण में जाकर कोरोना संकट से जल्दी निजात दिलाने की कामना करता है। तीर्थो की हरीतिमा, शुद्ध आध्यात्मिक वातावरण एवं भगवान जिनेन्द्र की भक्ति तथा अहिंसक जीवन शैली का वातावरण उन्हें अवसाद एवं तनाव से मुक्ति दिलाता है । त्तनाव एवं डिप्रेशन आज के भंयकर रोग है जिनसे मुक्ति तीर्थ ही दिला सकते है  । अत: कोरोना के संंक्रमण का प्रभव रोकने में जैन तीर्थ ों की महत्ती भूमिका है ।
जैन शीतल तीर्थ में आयोजित वेबीनार को सम्बोधित करते हुए अ.भा. दि. जैन शास्त्रि परिषद के अध्यक्ष डॉ. श्रैयांसकुमार जैन ने कहा कि तीर्थ जनता को जागरूक करने में महत्वपूर्ण कार्य कर सकते है उन्हें यह करना भई चाहिए । भा.दि. जैन महासभा के अध्यक्ष तथा आचार्य योगीन्द्रसागर से निकट से जुड़े । श्री निर्मलकुमार सेठी ने कहा कि जैन समाज ने कोरोना काल में राष्ट्र की महत्ती सेवा की है । तीर्थो को भी संकट की इस घड़ी में अपना पूरा योगदान समाज को सम्भाहलने में देना चाहिए । डॉ. सविता जी आ. योगीन्द्रसागर जी को प्रेरणा से बने इस तीर्थ को अच्छा विकास कर रही है ।
जम्बूद्वीप-हस्तिानापुर के पीठाधीश स्वस्ति श्री रविन्द्रकीर्ति स्वामीजी ने कहा कि हमारे सभी तीर्थ कोरोनाकाल में साधुसेवा एंव भक्ति के केन्द्र बने है। जम्बूद्वीप में आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी म.सा., ससंघ एवं गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानसती माता जी ससंघ विराजमान है यहां प्रतिदिन धार्मिक आयोजन हो रहे है जिससे भक्तिमय वातावरण बना रहता है। इसका लाभ पारस चैनल के माध्यम से देश की जनता को मिल रहा है ।
जैनकाशी के नाम से विख्यात प्रख्यात जैन तीर्थ मूडबिद्री के भट्टारक स्वतिश्री भट्टारक चारूकीर्ति स्वामीजी ने कहा कि संकट काल तीर्थ स्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है । इस समय श्रावक प्रभु भक्ति हेतु निकलेंगे तब सामाजिक दूरी के नियम का पालन कराना होगा । संक्रमण से बचाव हेतु शासन के सुझावों को ध्यान में रखने से हमारी विजय जरूर होगी ।
परमपूज्य मुनिश्री पूज्य सागरजी ने अपना मंगल आशीर्वाद देते हुए कहा कि भारतीय संस्कारों से ही कोरोना पर विजय मिलेगी । हमें अपनी एवं अपने परिसर की सफाई एवं आत्मशुद्धि पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इश मौके पर शीतलतीर्थ निर्माण एवं विकास समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र रारा (गौहरी) ने सभीवक्ताओं से इस वेबीनार से जुडऩे वालों का आभार माना । श्रीमती पूजा गाँधी के मंगलाचरण से प्रारम्भ इस वेबीनार के संंयोजक गूगल मीट तथा निमिष, पलास गाँधी रतलाम का विशेष तकनीकी सहयोग रहा । सिद्धार्थ जैन मंदसौर ने यूट्यूब पर सीधे प्रसारण में सहयोग दिया । पूज्य आचार्यश्री के जयघोष एवं तीर्थ विकास के संकल्प के साथ वेबीनार का समापन हुआ ।