वर्षा ऋतु एवं सावन के महीने में जैन संत के सत्संग प्रवचन की बारिश के फुहार से श्रद्धालु भक्त हो रहे हैं निहाल

झुमरी तिलैया। जैन संत पुज्य मुनि श्री 108 सुयश सागर जी महाराज ससंघ का भब्य मंगल चातुर्मास चल रहा है इसी कड़ी में जैन बड़ा मंदिर के प्रांगण में प्रातःकालीन प्रवचन मे श्रद्धालु भक्तों को अमृत मयप्रवचन का सोपान कराते हुए परमपूज्य अध्यात्म योगी संत मुनि सुयश सागर जी ने बताया कि मनुष्य को पुण्य कमाने का बहुत ही सुनहरा अवसर आया हुवा है आदमी इस 4 माह में पुण्य के सागर में भरपूर डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर सकता है मगर पुण्य करने के लिए सबसे पहले पुरुषार्थ करना होगा ।आम लोगों की संगति से आदमी की बुद्धि भी आम लोगों जैसी हो जाती है और विशिष्ट व्यक्तियों की संगति से उसकी बुद्धि विशिष्ट बन जाती है।संसारी प्राणी अपनी पांचो इंद्रियों के विषय भोगों के लिए धन कमाता है नीति से ,अनीति से ,न्याय से और अन्याय से यह संसारी प्राणी जितनी मेहनत इंद्रियों के विषय के लिए करता है उसकी अपेक्षा थोड़ी सी मेहनत यदि धर्म के लिए कर ले तो वह सच्चा श्रावक बनकर अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है। हम जैसा कर्म करेंगे वैसा ही फल मिलेगा। धन कमा कर तिजोरी में भले ही रख लेना – लेकिन मृत्युपरांत कुछ भी साथ जाने वाला नहीं है, केवल हमारे कर्म और पुण्य ही साथ जाएंगे । अकेली आत्मा मेरी यहां से जाएगी मेरा शरीर ,मेरी संपत्ति ,मेरे परिवारजन सब यहां छूट जाएंगे यदि कुछ साथ में जाएगा तो वह मेरा पुण्य और पाप । प्रकृति का बहुत अच्छा नियम है आप जितना पुरुषार्थ करोगे आप को सफलता और पुण्य उतना ही मिलेगा। उक्त जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी राजकुमार अजमेरा,नविन जैन ने दी.