हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने की कुछ और गिनती रंग गिनना बड़ी बात है पर माया चारि से छुटकारा नहीं पा सकते – राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज

जावरा (अभय सुराणा) । अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज ने पर्युषण पर्व पर फेसबुक और युट्यूब चैनल प्रमुख वाणी के माध्यम से प्रवचन दिए कि आज उत्तम आर्जव धर्म के बारे में बताते हुए कहा कि धर्म की धर्म के सामने आया हुआ व्यक्ति यदि मायाचारी करता है तू तो उसे त्रियन्च गति में जाना पड़ता है सोधर्म इंद्र बन रहे हैं वह असली है या नकली मोह मायाचारी में चल रहा है राम-राम जपना पराया माल अपना मुख में राम मुंह में छूरी यह भाव मायाचारी है जहां देखी थाली परात वही गुजारी सारी रात, हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने की कुछ और गिनती रंग गिनना बड़ी बात है पर माया चारि से छुटकारा नहीं पा सकते । यदि संसार में जाएं तो माया चारी संयम में जाए तो भी माया चारी करता है और संयम में भी जाए तो मायाचारी करता है हमको अपनी मायाचारी दिखायी नही देती साप को अपने पेर दिखाई नहीं देते टेढ़ा-मेढ़ा चलता है बिलल में जाकर सीधा हो जाता है बिल में सीधे पैर झंडा लगाने के काम आते हैं और टेढ़े मेढ़े पर चूल्हे में जलाने के काम आते हैं पूजा में बोलते कुछ है और चढ़ाते कुछ है किंतु यह स्थापना नीक्षेप से हमने बनाया हम कहते हैं कि हम क्षीरसागर का जल चढ़ाते हैं कुएं का जल चढ़ाते हैं यह मायाचारी है, कहीं नदियों का जल कहते हैं गंगा सीता सिंधु इत्यादि का जल कहते हैं उन्हें भगवान से मानते हैं और वहां वह आपको भरपेट देता है पर उनको चढ़ाने का समय आता है तो थोड़े से चावल चढ़ाते हैं और उसे बचा कर घर ले जाते हैं उसमें निर्माण का दोष लगता है जबकि मंदिर में जावे तो डब्बी के पूरे चावल चढ़ाकर पूरे आना चाहिए । चंदन मलियागिरी का होना चाहिए कि सावा चंदन होना चाहिए । हम चंदन की जगह हल्दी केसर इत्यादि चढ़ा देते हैं, खाने में तो चावल बासमती तो पूजा में मोटे चावल टूटे हुए चावल अर्थात अक्षत जो हम खाते हैं वह इससे उत्तम चावल चढ़ाना चाहिए । आप पुष्प की जगह पीले चावल चढ़ाते हैं उस चढ़ाने में हिंसा होती है उससे विवेक पूर्वक चढ़ाना चाहिए पहले मंदिर में हार शृंगार के पुष्प के वृक्ष होते थे उससे ही मिस्टर चंदन बनाते थे वह भी विवेक से करो जल चंदन पुष्प चढ़ाते हैं उन्हें भगवान पर मत चढ़ाओ उन्हें चरणों में चडाओ नैवेद्य आप नारियल की चटक चढ़ाते हैं पर आप अच्छी-अच्छी मिठाई खाते हैं आप जो कर रहे हैं वह विवेक पूर्वक चढ़ाव निर्माण में कहीं लोग लड्डू चढ़ाते हैं कहीं लोग खोपरे को किस के चढ़ा देते हैं आप जो चटक चढ़ाते हैं वहां स्थापना निसपेक्ष है दीप की जगह है पीला चावल चढ़ाते हैं जो ज्ञान की प्राप्ति कराता है मोह माया दीपम निर्पमती स्वाहा करके चढ़ाते हैं और की जगह छिली हुई लकड़ी को चढ़ाते हैं और साधु के पास हिंसा नजर आती है अगर यह भावना बना ली तो आप समय दर्शन सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान सम्यक चारित्र को प्राप्त करोगे आप जो क्रिया करो करते करो विवेक पूर्वक ही करो मंदिर में धूप कुंड हो तो मंदिर कीर्ति और वहां पर देवी-देवता आकर मंदिर में आ जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी बादाम चढ़ाते हैं तो बादाम दल है पूजा में फल के जगह अंगूर आम आदि बोलते हैं और बादाम दल को चढ़ाते हैं आप जो चढ़ाते हैं चढ़ाव पर सम्यक चारित्र सम्यक ज्ञान से मतलब है हम तो चाहते हैं कि आपको वहां ज्ञान प्राप्त हो जाए मायाचारि साधु संत के साथ में करते हैं आहार में 5 वर्ष के बालक को लाकर 8 साल का बोलते हैं आहार में बाल को भागा बताते हैं चींटी और सुषमा जानवर को जीरा बताते हैं आप जो यह माया चारी इसलिए करते हैं आपके मन में यह भाव रहता है कि महाराज का आहार अच्छे से हो जाए मायाचारी में करते हैं कुछ दिखाते हैं कुछ माया सारी में पांच प्रकार की होती है सामान्य में क्या-क्या मिला देते हैं दूध में वाशिंग पाउडर मिला देते हैं घी में आलू मिला देते हैं यह माया चारी व्यक्ति दुखी होगा वह कभी सरल सरल नहीं हो सकता वह सरल को को खत्म करता है जितना कठोर होगा वहां सरल नहीं हो सकता उतरन को खत्म करने के लिए जितना खत्म होगा उतना माया चारि होगाआचार्य श्री ने कहा जहां जहां माया है वहां वहां पापों की छाया है हमारे घर परिवार में देश और राज में माया सारिका ऐसा दौर चल रहा है कि आज का आदमी अपने बारे में ही सोचता है इस आदमी को धोखा देने के लिए चारों तरफ से लोग खड़े हैं तो मैं इतना कहना चाहता हूं धोखा देना नहीं धोखा खाना श्रेष्ठ है क्योंकि जो व्यक्ति धोखा खाता है वह हमेशा सावधान रहता है दूध का जला मटक फुक फुक कर पीता है इसलिए हमें किसी को धोखा नहीं देना चाहिए छल कपट नहीं करना चाहिए माया चारी नहीं करना चाहिए यदि हमने उस समय आयु का बंद किया तो शत्रियन्च गति में जाना पड़ेगा आप अपने जीवन में इतना ही ख्याल रखो कि हमें हमें अपने जीवन में दूसरों के साथ छल कपट नहीं करना है अपने जीवन को अच्छा बनाना है तभी तुम्हारा जीवन उत्तम आर्जव धर्म में सम्मिलित होगा यहां जानकारी चातुर्मास समिति के प्रवक्ता रितेश जैन ने दी ।