समाज निर्माण का महत्वपूर्ण उपक्रम है शिक्षक समुदाय- डा खुशाल सिंह पुरोहित

विशाल सेवानिवृत शिक्षक सम्मान समारोह सम्पन्न

रतलाम । देश, समाज और सरकार सभी को समाज निर्माण के लिए सिर्फ और सिर्फ शिक्षकों से अपेक्षा रहती है क्योंकि हम सब जानते हैं कि शिक्षक के कंधों पर मनुष्य का भविष्य टिका हुआ है । माता-पिता तो सिर्फ जन्म देते हैं लेकिन शिक्षक उसे सर्वश्रेष्ठ जीवन प्रदान करता है शिक्षक की भूमिका उस दीपक की तरह होती है जो अपनी रोशनी से हजारों अपने जैसे दीपों को रोशन कर सकता है । शिक्षा की ज्योति समुचित देश और समाज को आलोकित करने के लिए समर्थ है । हमें शिक्षक की क्षमताओं पर भरोसा रखना होगा उसकी योग्यता और उपयोगिता उत्तम तरीके से होना चाहिए । शिक्षक ही एकमात्र ऐसा उपक्रम है जो निरंतर सृजन का शंखनाद करता है।
उपरोक्त विचार शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षक सांस्कृतिक संगठन मंच द्वारा लायंस क्लब रतलाम क्लासिक, स्टेट बैंक आफ इंडिया एवं एलआईसी के सहयोग से लायंस हॉल में आयोजित विशाल सेवानिवृत शिक्षक सम्मान समारोह में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने व्यक्त किया।
आपने कहां की हमें यह नहीं भूलना चाहिए की शिक्षक डॉक्टर या इंजीनियर अथवा समाज के अन्य घटकों की तरह नहीं है जिनकी त्रुटियां माफ हो सकती है लेकिन शिक्षक की जरा सी भूल पूरे समाज को नष्ट कर सकती है इसीलिए शिक्षक समाज में पूजनीय है सम्माननीय है और युगों-युगों तक बना रहेगा।
संस्था द्वारा प्रदत्त लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड विजेता पूर्व प्राचार्य साहित्यकार डॉ गीता दुबे ने कहा कि एकमात्र शिक्षक ही ऐसा प्राणी है जो अपने विद्यार्थियों को हमेशा देने की चाह रखता है लेने की अपेक्षा कभी नहीं करता,  उसकी प्रगति उपलब्धियां पर गर्व करता है । यह सोच और विचार उसके मन में सदैव विराजित रहते हैं कि उसके  सानिध्य में आने वाला शिष्य हमेशा उत्कृष्ट संस्कारों से परिपूर्ण होकर अपना जीवन प्रगति के पद पर अग्रसर करें । आपने कहा कि में अभिभूत हूं संस्था द्वारा दिए गए सम्मान के प्रति और उनकी गतिविधियों के लिए उन्हें हृदय से धन्यवाद देती हूं ।
डॉ गीता दुबे का परिचय देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनी वाला ने कहा कि शिक्षक दिवस की सार्थकता तभी है जब हम श्रेष्ठ शिक्षकों को प्रोत्साहित करें । उन्हें उनकी सामथ्र्य से परिचित करवाए । डॉ. गीता दुबे द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए योगदान का समाज और संगठनों को हमेशा अभिनंदन करना चाहिए । विशिष्ट अतिथि लायन योगेंद्र रूनवाल ने कहा कि गुरुओं के सम्मान में सम्मिलित होकर अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं । शिक्षकों का आशीर्वाद हमें सदैव आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है । इस मौके पर श्री महेंद्र सिंह राठौड़ और श्री चेतन परिहार, सरोज ओझा आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
सम्मेलन के आरंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती एवं डॉ राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । सरस्वती वंदना श्रीमती आरती त्रिवेदी ने प्रस्तुत की, अतिथियों का स्वागत संस्था अध्यक्ष दिनेश शर्मा, सचिव दिलीप वर्मा, श्री ओ.पी.मिश्रा, कृष्णचंद्र ठाकुर, नरेंद्र सिंह राठौड़, दशरथ जोशी, अनिल जोशी, मदनलाल मेहरा, उत्सव लाल सालवी, कैलाशनाथ शर्मा, धर्मा कोठारी, रमेश चंद्र परमार, अर्पित मेहरा, भारती उपाध्याय, वीणा छाजेड़, कविता सक्सेना, रक्षा के.कुमार प्रतिभा चांदनी वाला, कमल सिंह राठौड़, दयाशंकर पालीवाल, मिथिलेश मिश्रा, नूतन मजावदिया, भावना राजपुरोहित आदि ने किया ।
इस अवसर पर संस्था द्वारा श्रीमती उर्मिला जौहरी, प्रकाशचन्द्र जोशी, श्रीमती मंगला सोनगरा, रूखसाना शेख, सीमा भागर्व, सुश्री डेलन भाभरा, श्रीमती वसुधा पुरोहित, दिनेश शर्मा, श्रीमती सूरज सोनी, श्रीमती रेखा जैन, श्रीमती सुनीता ठाकुर, श्रीमती रेखा व्यास, प्रतिभा अग्निहोत्री, चैनसिंह सोलंकी, रमेशचन्द्र राठौड़, श्रीमती माया चौहान, अशोक कुमार जैन, दिलीप कुमार वर्मा, नंदलाल बौरासी,  राजेन्द्र कुमार टांक, रणजीतसिंह राठौड़, विजय यादव, श्रीमती ममता पाण्डे, श्रीमती रमा ओसतवार,  शैलेन्द्रसिंह देवड़ा, श्रीमती अर्चना ललित मोयल, हिम्मत सिंह डोडिया, शंभू लाल निनामा, बालाराम डोडियार, श्रीमती प्रेमा जोशी, नंदलाल बौरासी, श्रीमती सुरेखा नागर, श्रीमती भगवती कसारा, श्रीमती सुनिता शिकारी सहितकुल 61 सेवानिवृत्ति शिक्षकों का शाल श्रीफल स्मृति चिन्ह देकर सम्मान तथा शिक्षकों के प्रतिभावान पुत्र-पुत्री का सम्मान एवं मंच द्वारा आयोजित विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया ।
इस अवसर पर डाईट प्राचार्य नरेन्द्र गुप्ता, सुनील के.जैन, संदीप निगम, राजेंद्र जायसवाल, आशीष जोशी, शुभांगी जोशी, कल्पना राजपुरोहित, सुरेंद्र सिंह छाजेड़, श्री ललित मोयल, अर्चना मोयल आदि गणमान्यजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दिलीप वर्मा और आभार दशरथ जोशी ने व्यक्त किया।