वर्षों के मधुर संबंध एक कड़वे शब्द से सदा-सदा के लिए समाप्त हो जाते हैं – राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश

मुंबई भायंदर ओस्तवाल बगीची क्षमता भवन 9 अक्टूबर 2024 । शस्त्र के जख्म से भी ज्यादा शब्दों का जख्म अत्यंत घातक होता है । शास्त्र के जख्म भर जाते हैं। परंतु शब्दों का जख्म भरना असंभव है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने संबोधित करते कहा कि कटु वचन हलाहल जहर है, मीठे वचन अमृत से भी ज्यादा मधुर है । जिसके माध्यम से देव, मनुष्य और पशु को भी वश में किया जा सकता है ।
मुनि कमलेश ने बताया कि ज्ञानी बोलने से पहले सोचता है और अज्ञानी बोलने के बाद में तब मात्र पश्चाताप शेष रह जाता है । वर्षों के मधुर संबंध एक कड़वे शब्द से सदा सदा के लिए समाप्त हो जाते हैं । उन्होंने कहा कि अहंकार युक्त कठोर शब्द अपने आप में हिंसा का प्रतीक है ।
राष्ट्र संत ने कहा कि मधुर शब्द अपने और सामने वाले में शांति की स्थापना करते हैं अपने आप में औषधि का काम करते हैं । जैन संत ने बताया कि व्यक्ति के संस्कार और खानदान की पहचान उसके वचनों के द्वारा होती है ।
आज करीब 150 आयमबिल तपस्या सकल जैन समाज की ओर से हुई श्रीपाल चरित्र हुआ।