रतलाम । श्री अखिल भारतीय दाधिची ब्राह्मण महासभा के आव्हान पर देश में दानवीर त्याग की मूर्ती महर्षि दाधिची का जन्मोत्सव कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए समाजजनों ने अपने-अपने घरों में सादगी से मनाया।
दाधिची परिवार द्वारा कस्तुरबा नगर में महर्षि दाधिची जी के चित्र पर माल्यापर्ण व पूजा-अर्चना महाआरती व दीपमाला सज्जाकर सादगी से जन्मोत्सव मनाया गया। साथ ही दस दिवसीय श्रीगणेशोत्सव में भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा का पूजन व लड्डओं का भोग लगाकर महाआरती की गई। कस्तुबा नगर उद्यान में पीपल के पोधे का रोपण किया गया।
जन्मोत्सव की बधाई देते हुए मुख्य अतिथि के रूप में वीडियो कॉल के द्वारा समाजसेवी डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने समाजजनों को संदेश देते हुए कहा कि महर्षि दाधिची को हम वेदिक, उपनिशेद व पोराणीक इन तीन अलग-अलग परंपराओं में पहचानते है। दाधिची ने देवताओं के आव्हान पर अपनी अस्थियों का दान किया था। मानवता के कल्याण के लिए किए इस दानयज्ञ से हमें यह उपदेश दिया कि किसी भी प्राणी के दुख में दुखी होना और किसी प्राणी के सुख में सुखी होना ही धर्म है। धरती पर अग्नि प्रज्वलित के अविष्कार कर्ता दाधिची ही थे। ज्ञान कर्मकाण्ड की खोज, ओम का प्रथम उल्लेख करने वाले एवं यज्ञ के संंस्थापक दाधिची ऋषि ही थे। उन्होने हमें बताया कि ओम का उच्चारण आकाश के समान व्यापक है। नारायण कवच, ब्राह्मविद्या के ज्ञानी दाधिची ने कई परंपराओं को जन्म दिया है। उनके बताए मार्ग दर्शन पर चलना हम सब का कर्तव्य है।
महाआरती में राष्ट्रीय सचिव पं. नरेन्द्र जोशी, अजय जोशी, सीमा जोशी, विरेन्द्र व्यास, कलावती व्यास, अनिता जोशी, विरेन्द्र जोशी, मंजु जोशी, रजनी जोशी, सुनीता मिश्रा आदि उपस्थित थे।