तप आत्म कल्याण की सुनहरी आभा बिखरता है-अभय सुराणा

जावरा (अभय सुराणा) । यह प्रचंड आलोक बिखेरता सूर्य यह असंख्य अमृत कीरणे बिखेरता चंद्र यह विशाल धरा सभी तपस्वीयो के तप की अनुमोदना करते हैं। भगवान ने कर्म निर्जरा के अनेक उपाय बताएं है उनमें से तप सबसे महत्वपूर्ण है और इसीलिए कहते हैं की तपस्या से कटे कर्म अति भारी तप के आगे नतमस्तक दुनिया सारी, तपस्या के माध्यम से करोड़ों भव के कर्म की भी हम निर्जरा कर सकते हैं, भौतिक कामना से रहित तप आत्म कल्याण की सुनहरी आभा बिखेर सकता है । रसेनद्रिय को जितना बड़ा कठिन है लेकिन आपने इंद्रीयऔर मन को काबू करके जब कोई तपस्या से जुड़ जाता है तो हमारा मन उसे तपस्वी की अनुमोदना करने के लिए लालायित हो जाता है, उक्त विचार श्री ऑल इंडिया श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय वरिष्ठ मार्गदर्शक अभय सुराणा ने अ.भा. जैन दिवाकर विचार मंच एवं श्री श्वेतांबर जैन वरिष्ठ सेवा समिति जावरा द्वारा जिन शासन रत्न तपस्वी श्री प्रकाशचंद्र जी पितलिया के आज 79 उपवास के तप के अनुमोदनाथ उनके सम्मान में उक्त विचार व्यक्त किये ।आपने कहा कि गुरु भगवन्तं की असीम कृपा एवं आपकी दृढ़ शक्ति के आगे जावरा शहर में पहली बार इतनी बड़ी तपस्या सम्माननीय पीतलिया जी कर रहे हैं जो आगे भी निरंतर जारी है। इस अवसर पर श्री श्वेतांबर जैन वरिष्ठ सेवा समिति के अध्यक्ष बसंतीलाल चपडोद सचिव अनिल चोपड़ा कोषाध्यक्ष नगिन सकलेचा सह कोषाध्यक्ष सरदारमल जैन विवाह वर्षगांठ समिति चेयरमैन राजकुमार हरण अ.भा. दिवाकर विचार मंच के राष्ट्रीय मंत्री अभय श्रीमाल प्रदेश उपाध्यक्ष शेखर नाहर कार्य समिति के सुरेंद्र सुराणा कंवर साहब तपन नाहटा आदि सदस्य उपस्थित थे। सभी ने तपस्वी को माला पहनाकर कहां की आपकी तपस्या की बहुत-बहुत अनुमोदना करते है एवं आपके ज्ञान ध्यान एवं तप में वृद्धि हो यही मंगल कामना करते हैं।साथ ही सभी ने नवकार महामंत्र के जाप कर शासन माता से आपके तप के लिए शक्ति प्रदान करने की कामना करी एवं तपस्वी के जयकारे लगाए।