परम पूज्य गुरुदेव उपप्रवर्तक श्री अरुणमुनिजी म.सा. के दीक्षा दिवस पर कोटि कोटि नमन

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक स्थानक पर परम पूज्य गुरुदेव उपप्रवर्तक श्री अरुणमुनिजी म.सा. का आज 21 नवम्बर दीक्षा दिवस है।
पूज्य गुरुदेव का जीवन परिचय
आपका जन्म शेगांव (महाराष्ट्र) में दिनाकं 3 नवम्बर 1959 को हुआ! आपके पिताश्री का नाम श्री शंकर लाल जी जैन व माताजी का नाम श्रीमति ममता बाइ जैन हे! सन्त- सतियो का सानिध्य प्राप्त हुआ, वैराग्य भाव जागृत हुए।
आपकी भागवती दीक्षा राजस्थान के प्रमुख धार्मिक व व्यावसायिक नगर ब्यावर में विक्रम संवत 2031 की कार्तिक शुक्ला सप्तमी तदानुसार 21 नवम्बर 2074 को हुई तपस्वी श्री लाभ चंद जी म. सा आपके गुरु बने।
दीक्षा के बाद गुरुदेव तपस्वी श्री लाभ चंद जी म. सा के साथ रह कर अध्ययन किया, कालान्तर आपके भ्राता नें भी दीक्षा ग्रहण की जो सरल मना सेवाभावी श्री सुरेश मुनि जी म. सा है।
दीक्षा के बाद 16 चातुर्मास गुरुवर के साथ में रहे,व उनकी सेवा में सदा तत्पर रहे। आपका विचरण क्षेत्र बहुत लम्बा रहा है आप, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, दिल्ली, चंडीगढ आदि सुदुर अंचलो में विहार कर धर्म प्रभावना की।
दस वर्षो तक आप झारखंड में पेतरबार ग्राम में गुजराती संत श्री जयन्ती लाल जी महाराज की सेवा में रहे। आप स्वयं तपस्वी है , प्रति रविवार, मंगलवार, गुरुवार को उपवास करते है एवं शनिवार को एकासन करते है।
आप जंहा भी चातुर्मास करते है 24 ही घन्टे नवकार मंत्र के जाप संघ परिवारो में बारी बारी से हो प्रयास करते है, अभी भी कई भी चातुर्मास हो बारह घंटे का जाप तो करवाते ही है। आपकी मुख्य प्रेरणा आयम्बिल तप आराधना की प्रेरणा रहती है, आपकी प्रेरणा से सेंकड़ो श्रावक-श्राविकाओ ने पुष्य नक्षत्र के आयम्बिल किये है व कर रहे हैं।
जैन दिवाकर- मुनि लाभ नैत्र चिकित्सालय मन्दसौर, आपकी प्रेरणा से एक ऐसी संस्था कार्यशील हे जो नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में अपना एक विशेष मुकाम प्राप्त कर चुकी हें उसका प्रबंधन बहुत ही कुशल हाथो में है।
आपने जंहा भी चातुर्मास किया वंहा पर आप की प्रेरणा से उदार मन से दान देने वालो की एक लम्बी कतार है, व आपके इशारे से दान देते है व संस्था में योगदान देते है, इसका सब से बड़ा उदाहरण जैन दिवाकर मुनि लाभ नेत्र चिकित्सालय का वह वर्तमान में आधुनिक विस्तृत रूप है जो आपकी सदप्रेरणा से बना हैं।