जीवन में कितनी ही असफलताएं आए किंतु आत्महत्या करने का विचार मन में न लाएं- राष्ट्रसंत आचार्य 108 श्री प्रमुख सागरजी महाराज

राष्ट्रसंत का 20 वां संयम महोत्सव पर अनेक कार्यक्रम

जावरा (अभय सुराणा)। राष्ट्रसंत परम पूज्य आचार्य 108 श्री प्रमुख सागरजी महाराज ने रविवार को 20वां संयम महोत्सव पर कहां की जीवन में कितनी भी असफलताएं चाहे वह विद्यार्थी हो या आम नागरिक सामने आए तो उनका सामना करें किंतु आत्महत्या करने का विचार मन में ही ना लाएं स्थानीय बी एल एम पैलेस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रवचन के दौरान आपने कहा कि विद्यार्थी भारत का भविष्य है युवा हमारे भारत की धरोहर है एक इंजीनियर की भूल मकान या पुल निर्माण , एक डॉक्टर की भूल मरीज की मौत और एक वकील की भूल का प्रभाव मुकदमे को बिगड़ सकती है युवा विद्यार्थी को सशक्त होना चाहिए यह भारत की रीढ़ की हड्डी है युवा शब्द का उल्टा शब्द वायु होता है वायु का मतलब हवा द्य हवा जब चलती है तो वह बड़े-बड़े पहाड़ों को ध्वस्त कर देती है इसी प्रकार यदि युवा मन में ठान ले तो बड़े-बड़े कार्य चुटकियों में हो सकते हैं यदि वे चाहे तो सरकार गिरा सकते हैं इस देश में भगतसिंह , राजगुरु एवं सुखदेव तीनों ही युवा ही थे जिन्होंने देश के लिए सर्वस्व बलिदान कर दिया आज हमारे देश को युवा विचारों की बहुत आवश्यकता है । क्योंकि अतीत के विचारों को जो लेकर चलता है वह प्रगति से पीछे रह जाता है और जो भविष्य के विचारों को लेकर जी रहा है वह अच्छा है वर्तमान में जो कुछ करने की लालसा रखता है वहीं युवा है द्य संसार में जितने भी भगवान एवं तीर्थंकर हुए उनकी मूर्तियां देखो तो सभी युवा अवस्था की ही मूर्तियां है द्य मूर्ति भी हमें यह सूचना देती है कि युवा रहोगे तो वर्तमान समय के साथ चलोगे और जीवन में सुख एवं शांति की प्राप्ति होगी द्य चंद्रगुप्त मौर्य , और राजा भरत चक्रवर्ती ने 1600 – 1600 जिनके सपनों में भी आया कि युवा हल को जोत रहे हैं अर्थात युवा लोग इस धर्म का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं आज देखे तो प्रत्येक धर्म में युवा साधु सन्यासी ही मिलेंगे हमारे जीवन में कुछ करने की लगन होना चाहिए तभी संसार में जो कुछ कर जाते हैं उन्हें विस्मृत नहीं किया जाता जैसे भगवान महावीर सभी को सभी श्रवण करते हैं हालांकि ऐसे समय में लाखों लोग पैदा हुए लेकिन उन्हें कोई जानता भी नहीं द्य इंदिराजी को सभी जानते हैं भले ही जिन्होंने उन्हें नहीं देखा लेकिन उनकी कार्यशैली से भलीभांति परिचित हैं इसी प्रकार हमें यह सोचना होगा कि लोग मुझसे मिले या न मिले लेकिन अपने अच्छे कार्यों से आदर्श पुरुष बन सकते हैं यह हमें करना चाहिए द्य आपने कहा कि दूसरों के गलत आदर्शों पर चलना गुलामी के समान हैं सही आदर्श को समझकर नया आदर्श प्रस्तुत करना यही हमारी मिल्कियत है द्य युवाओं से मेरा इतना ही कहना हे कि जीवन में तरक्की करना है तो तीन चीजों को कभी नहीं छोडऩा यह है – माता पिता और गुरु ।
रामायण में भी उल्लेख है कि
प्रात:काल उठे रघुनाथा
माता पिता गुरु दबाउ माथा।
प्रवचन में आपने आगे कहा कि जो बच्चे प्रात: माता पिता के चरण स्पर्श के पश्चात अपनी दिनचर्या शुरू करें तो सफलता उनके चरणों को सदा सफलता प्रदान करती रहेगी द्य गुरु की चरण वंदना और उनका सानिध्य भी अधिकांश समय लेते रहना चाहिए इसी के साथ युवा पीढ़ी को बुरे व्यसनों से दूर रहना चाहिए द्य पुष्प वर्षा योग समिति के प्रवक्ता रितेश जैन ने बताया कि रविवार को संयम महोत्सव के अवसर पर युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया । जिसमें कक्षा 5 से उच्च शिक्षा तक सफलता प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं का मन्नालालजी राजी बाई परमार्थिक ट्रस्ट जावरा एवं सन्मति ग्रुप मंदसोर द्वारा सम्मान किया गया । पाद प्रक्षालन का लाभ अनिल कोठारी , शास्त्र भेंट का लाभ सन्मति ग्रुप मंदसोर एवं पूजा का लाभ समाधि माताजी जी एवं गंगवाल परिवार द्वारा लिया गया । समाजसेवी राहुल बरेया ने भी प्रतिभावान बच्चों को पुरस्कृत किया। कार्यक्रम का संचालन अंतिम कियावत एवं पुखराज सेठी ने एवं आभार विजय औरा एडवोकेट ने माना ।