नई दिल्ली। संतुलित एवं समतामय जीवन की साधना का विशिष्ट उपक्रम सामायिक पर आयोजित वेबनार में वक्ताओं ने सामायिक को शांति और समृद्धि का सशक्त आधार बताया। तेरापंथ युवक परिषद दिल्ली द्वारा आयोजित इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में सामायिक क्लब की संस्थापिका श्रीमती मंजुला जैन ने भाग लिया।
तेरापंथ युवक परिषद दिल्ली के अध्यक्ष श्री प्रवीण डूंगरवाल ने आचार्य श्री महाश्रमणजी के नेतृत्व में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा राष्ट्रव्यापी स्तर पर संचालित किये जा रहे सामायिक अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि सामायिक जैन साधना पद्धति की एक विशिष्ट प्रक्रिया है जिसमें 48 मिनट तक साधक आत्मसाधना के साथ-साथ सुख, समृद्धि, शांति के लिए इस साधना में प्रवृत्त होता है। श्री डूंगरवाल ने लगभग 25 वर्ष पूर्व आचार्य श्री तुलसी के स्वस्थ समाज संरचना के सपनों को आकार देने के लिए श्रीमती मंजुला जैन के नेतृत्व में संचालित किये गये सामायिक क्लब की जानकारी देते हुए बताया कि श्रीमती मंजुला जैन पिछले तीन दशक से सामायिक क्लब के विशिष्ट उपक्रम को लेकर सक्रिय है। इस क्लब के साथ 45,000 से अधिक साधक-सदस्य जुट चुके हैं और यह संख्या एक लाख से अधिक परिवारों तक पहुंचाने का लक्ष्य है। सामायिक के प्रति जागरूकता पैदा करने की यह जनक्रांति एक आदर्श समाज संरचना का संकल्प है। तेरापंथ युवक परिषद भी इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है।
समारोह की मुख्य अतिथि श्रीमती मंजुला जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि सामायिक एक चमत्कारिक एवं प्रभावी साधना का उपक्रम है जिसके माध्यम से सभी वर्ग के मनुष्य जीवन की हर तरह की समस्या का समाधान पा सकता है। विद्यार्थी वर्ग को सामायिक करने से ज्ञान वृद्धि होगी, अज्ञान मिटेगा, स्मरणशक्ति प्रखर होगी। युवा वर्ग तनाव एवं चिंतामुक्त होगा। बुजुर्ग वर्ग को सामायिक करने से शांति मिलेगी, आत्मा में सजगता आएगी। सामायिक सभी वर्ग के लिए अक्षय सुख का खजाना है। आचार्य श्री महाश्रमणजी के नेतृत्व में सामायिक अभियान नियोजित एवं तीव्र गति से जन-जन की जीवनशैली बनने की ओर अग्रसर है।
श्रीमती जैन ने आगे कहा कि यह साधना बहुत पवित्र है, अठारह पापों से मुक्त होने की साधना है। सामायिक उन्नत एवं संतुलित जीवन का आधार है, जो इसका सहारा लेता है वह काफी बुराइयों से बच जाता है। भगवान महावीर ने समता की साधना को पहली आवश्यकता कहा है। इसकी साधना के बिना अध्यात्म के क्षेत्र में प्रवेश नहीं हो सकता और न आत्मा की ओर प्रस्थान ही किया जा सकता है। आत्मकल्याण और परकल्याण की इससे बड़ी कोई दूसरी साधना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि आचार्य श्री तुलसी ने समाज के हर व्यक्ति को सामायिक से जोड़ने के लिए व्यापक प्रयत्न किये हैं उनके इस सपने को आकार देने के उद्देश्य की पूर्ति को लक्ष्य मानकर सामायिक क्लब का गठन हुआ। स्वस्थ समाज की संरचना तभी संभव है जब समाज का प्रत्येक व्यक्ति नैतिक और संयममय जीवन जीने का अभ्यास करेगा। सामायिक क्लब उसी दिशा में कार्यशील है। इसने समाज को नया दिशाबोध दिया है। सामायिक क्लब का हजारों व्यक्तियों का वृहद् परिवार है, जिसे लाखों की संख्या में ले जाने का लक्ष्य है। प्रतिमाह कम से कम चार सामायिक एक वर्ष तक करने का नया संकल्प लेने वाला व्यक्ति सामायिक क्लब की सदस्यता प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि सामायिक क्लब शीघ्र ही आध्यात्मिक क्लासेज शुरू करने वाला है। कार्यक्रम का प्रारंभ मंगलाचरण से हुआ।