प्रभु के दिखाएं मार्ग पर चलेंगे तो निश्चित मोक्ष की प्राप्ति होगी- आचार्य देव श्री नयचंद्रसागर सुरीश्वर जी म.सा.

रतलाम, 29 जुलाई। भगवान कहते हैं कि संसार में कोई सुख नहीं है। हमें भी पता नहीं है कि सुख है क्या ? परमात्मा जिसे दुख कहते हैं उसकी समझ भी हमें अब तक नहीं आई है। हम व्यवहार में तो समझते हैं कि पराधीनता नहीं चाहिए, लेकिन फिर भी स्वाधीनता के मार्ग पर चलते नहीं है। स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में फ़र्क़ है। पाश्चात्य संस्कृति ने परिवारों को तोड़ दिया है। स्वतंत्रता के नाम पर जो होना चाहिए आज वह नहीं हो रहा है।
यह बात वर्धमान तपोनिधि पूज्य आचार्य देव श्री नयचंद्रसागर सुरीश्वर जी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में चल रही प्रवचन श्रृंखला में कही। उन्होंने कहा कि हमारे कर्म की पराधीनता को देखकर भगवान दुखी होते हैं। हम गलत मार्ग को ही सही मानकर चल रहे हैं। यदि हम प्रभु के दिखाएं मार्ग पर चलेंगे तो निश्चित मोक्ष की प्राप्ति होगी।
गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर जी म.सा. ने कहा कि हम जो भी अच्छे कार्य कर रहे हैं, उसके लिए कभी अहंकार नहीं होना चाहिए और यदि बूरे कर्म किए हैं तो उसका प्रश्चित करें। हमारी आत्मा की शुद्धि बहुत जरूरी है। भगवान के वचन किसी एक व्यक्ति के लिए ना होकर सभी के लिए होते हैं, उन पर विश्वास करके आगे बढ़ेंगे तो मोक्ष की प्राप्ति होगी। यदि केवल ज्ञान हो जाए तो जीवन में दो ही प्रश्न – प्रभु मेरी दीक्षा कब होगी और मोक्ष कब होगा, यह रहेंगे।
श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्री संघ गुजराती उपाश्रय रतलाम एवं श्री ऋषभदेव जी केसरीमल जी जैन श्वेतांबर पेढ़ी रतलाम के तत्वावधान में आयोजित प्रवचन श्रृंखला में बड़ी संख्या में श्रावक, श्राविकाएं उपस्थित रहे।