शांत सुधा रस ग्रंथ से अपने शांत भाव ग्रहण कर लिया तो जीवन सफल हो जाएगा- साध्वी श्री समकित गुणा श्री जी म.सा.

रतलाम। सौ.वृ.त. श्री राजेंद्र सूरि त्रिस्तुतिक जैन श्वेतांबर श्री संघ एवं चातुर्मास समिति द्वारा नीम वाला उपाश्रय खेरादी वास में रतलाम नंदन प. पू .श्री 1008 जैन मंदिर के प्रेरणादाता, राष्ट्र संत कोकण केसरी गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेन्द्र सुरिश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती एवं मालवमणि पूज्य साध्वी जी श्री स्वयं प्रभाश्री जी म.सा. की सुशिष्य रतलाम कुल दीपिका शासन ज्योति साध्वी जी श्री अनंत गुणा श्रीजी म.सा,श्री अक्षयगुणा श्रीजी म.सा. श्री समकित गुणा श्री जी म.सा. श्री भावित गुणा श्री जी म.सा. उपासना में विराजे हैं जिनका चातुर्मास में नित्य प्रवचन चल रहे हैं इसी तारतम्य में आज दिनांक 3 अगस्त 2024,शनिवार को प. पु.साध्वी श्री अनंत गुणा श्री जी मसा ने अपने व्याख्यान में बताया कि साम्ब प्रद्युमन चारित्र में कि सुधर्म स्वामी ने परमात्मा की उद्देषणा सुनी।प्रवचन सुना और नियम लिया तदुपरांत मुनि श्री और वंकचूल की कथा सुनाई उसमें मुनि श्री ने उसे चार नियम दिलाए वंकचुल ने जीवन में चारों नियमों का पालन किया और अपना जीवन को तीन बार बचाया और अंत में सद्गति प्राप्त की।आप जो भी नियम लेते हो उसे दृढ़ता से पालन करना चाहिए। हम नियम बदल देते हैं तो जीवन बदल जाता है आप में से भी ऐसे लोग हैं जो दृढ़ता से नियम का पालन करते हैं। नियम थोड़ा लो पर नियम का दृढ़ता से पालन करो चाहे मृत्यु भी क्यों ना आ जाए। श्रद्धा पूर्वक नियमों का पालन करोगे तो सद्गति प्राप्त होगी ही साथ में आत्मा का उद्धार भी होगा। आप जो परमात्मा को चढ़ाते हो वही आपको मिलता है। आप उपयोग में आने वाले फल चढ़ाओगे तो आपको वही फल मिलेगे। इसी तारतम्य में में समझाया कि परमात्मा को चावल क्यों चढ़ाते हैं क्योंकि चावल एक ही बार में उगते हैं उसका बार-बार उपयोग नहीं होता है इसको अक्षत भी कहते हैं अक्षत का मतलब होता है जिसका क्षय नहीं हो आप अगर अक्षत चढ़ाते हो तो आपके पुण्य बढ़ाते हैं पुण्य का क्षय नहीं होता है।उक्त व्याख्यान दिया।
साध्वी श्री समकित गुणा श्रीजी मसा ने अपने मंगल प्रवचन में बताया कि इस चराचर विश्व में कई महापुरुष हुए इन महापुरुषों की श्रृंखला में विनय विजय श्री जी मसा ने खजाना दिया है यह ग्रंथ जो शांत सुधा रस है यह अपने आप में बहुत बड़ा खजाना है इसको जितना समझते हैं इसमें से हमेशा नया ज्ञान प्राप्त होता रहता है ।यह शांत सुधा रस ग्रंथ अपनीआत्मा को परमात्मा से जोड़ता है,परम आत्मा तक ले जाता है इसमें हमने शांत भाव भी को ग्रहण कर लिया तो जीवन सफल हो जाएगा।इसे सुनने तक नहीं रखना है,अपनी आत्मा में, हृदय में उतरना है और यह ज्ञान रूपी खजाना आपसे कोई लूट नही सकता है।इस ग्रंथ को आप जितना चिंतन करोगे, समझोगे तो आपको अपनी शक्ति में वृद्धि बढ़ती हुई लगेगी। कल आपको बताया कि हरिपत्र सुरि जी मसा. ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था और गुरु के माध्यम से भगवान कई रास्ते बताते हैं आपको अपनी आत्मा और परमात्मा का ध्यान रखना है।मैं कौन हूं और क्या कर रहा हूं इस पर आपको चिंतन करना चाहिए। मौत को जब आना है तो वह आएगी। मौत कभी भी किसी का भी इंतजार नहीं करती है गुरु का आज्ञा का उल्लंघन का फल हरि पत्र जी के शिष्य हंस की मृत्यु से हुआ कल आगे क्रमशः प्रवचन सुनाया जाएगा।
कल प्रातः सुबह 9:15 बजे से 10:15 बजे प्रवचन होगा इसके पश्चात महा मांगलिक होगी तथा वाहन रखने की व्यवस्था महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल में की है। कल अमावस्या भी है,पितृ का दिन भी है, रविवार भी है और यह संयोग 200 साल बाद आया है। कल महामांगलिक में पितृ दोष का निवारण किया जाएगा। पितृ दोष के लक्षण बताएं कि मन के अंदर शांति नहीं रहती है, क्लेश घर में बना रहता है,5 मिनट बाद घर के लोग आपस में बैठकर बात नहीं कर पाते, हर काम में बात बिगड़ जाती है. घर में बीमारी बनी रहती है।और यह संयोग ऐसा है की अमावस्या के दिन महा मंगलिक होगी क्योंकि अमावस्या के समय बहुत कम ही महामांगलिक होती है इसमें आपको सुख,शांति एवं समृद्धि मिलेगी। परमात्मा के मंत्रों का श्रवण करेंगे तो पितृ दोष भी समाप्त हो जाता है।
एक वाक्य से जीवन जागृत हो जाता है। एक वाक्य से जीवन परिवर्तित हो जाता है इस विषय पर साध्वी श्री व्याख्यान देंगे। कल के महामंगलिक के लाभार्थी स्वर्गीय श्रीमती सोहन बाई शैतान मलजी पटवा है।सौ. वृ.त. त्रीस्तुतिक जैन श्री संघ एवं राज अनंत चातुर्मास समिति, रतलाम के तत्वाधान में बड़ी संख्या में श्रावक एवं श्राविकाए उपस्थित थी।