सफलता के सूत्र विराट ज्ञान शिविर का एवं अष्टापद महातीर्थ की भावयात्रा का हुआ दिव्य आयोजन
कामाठीपुरा (मुंबई) । सुरि राजेंद्र ज्ञानपथ चातुर्मास पर्व-24 सुरि ऋषभ कृपापात्र आज्ञानुवर्ति शिष्य वर्षीतप तपस्वी मुनिप्रवर श्री पीयूषचंद्र विजयजी म.सा मुनिप्रवर श्री रजतचंद्र विजयजी म.साहेब बंधु बेलडी़ का यशस्वी ज्ञान ध्यान तप आराधना से युक्त कल्याणकारी चातुर्मास चल रहा है। सफलता के सूत्र विराट ज्ञान शिविर को संबोधित करते हुए मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी म.सा ने कहा कि नदी में फेंका हुआ अष्टकोण वाला पत्थर घिसते टकराते एक दिन गोल मटोल आकर ले लेता है। सुंदर बन जाता है, वैसे ही संस्कारों से जुड़े हुए व्यक्ति के कुसंस्कार स्वत: नष्ट हो जाते हैं। पौधों में आकर एवं बच्चों में संस्कार प्रारंभ से ही सिंचन करना चाहिए, तभी वे उन्नति मार्ग तक पहुंच सकते हैं। मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी म.सा ने आगे कहा जीवन की सफलता के तीन फार्मूला है आचरण की ब्यूटी सुन्दरता , अंतकरण की प्योरिटी पवित्रता , जीवन मे ड्यूटी कर्तव्य परायणता । यह तीन फार्मूला आत्मसात होने से मिला हुआ आपका मानव जीवन सफल हो जाता है । वृक्ष वही सुरक्षित जो मूल से जुड़ा हुआ है वैसे ही पतंग डोर से,नदी किनारो से, गहने तिजोरी से,पौधे कांटों की बाढ़ से सुरक्षित है वैसे ही बच्चे का जीवन मां की उंगली पकड़ने से सुरक्षित हैं। जैसे सूर्य की उपस्थिति में अंधकार टिक नहीं सकता वैसे संस्कारों की हाजिरी में पाप ठहर नहीं सकता। संगति का जीवन में बहुत असर होता है, अंगारा गरम हो तो हाथ जल जाता है ओर ठंडा हो तो हाथ काला हो जाता है। सावधानी रखें। मुनिश्री के तात्विक तार्किक प्रभावी उद्बोधन से पूरा जन्म समूह अभिभूत हुआ।
- श्री अष्टापद महातीर्थ की भावयात्रा का नमिनाथ जैनसंघ कामाठीपुरा में सर्व प्रथम बार संगीतमय दिव्य आयोजन हुआ। हजारों गुरुभक्तों की उपस्थिति ने शिविर एवं भावयात्रा को दिव्य नव्य भव्य बना दिया। संगीत प्रस्तुति जलना से आये दर्शित गदिया एवं टीम ने दी। 4 अगस्त को सम्पन्न हूए रविवारीय आत्म स्पर्शी सफलता के सूत्र शिविर का विराट आयोजन किया गया । जिसका लाभ श्रीमती जमनाबाई भोमचंदजी ताराजी भंसाली परिवार द्वारा लिया गया है।
- सभी तपस्वी को सिद्धितप एवं अखंड आयंबिल की तपराधना साता पूर्वक चल रही है। सिद्धितप आराधना का संपूर्ण लाभ भीनमाल के श्रीमती बदामीबाई सरेमलजी कपुरचन्दजी कोठारी परिवार ने लिया है।