जिनके दिलों में भय का निवास होता है वहां प्रेम, करुणा, सद्भाव नष्ट हो जाते हैं – राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश

मुंबई भायंदर ओस्तवाल बगीची समता भन 31 अगस्त 2024 । अपने व्यवहार से भय पैदा होना अथवा स्वयं भय के माहौल में रहते हैं दोनों ही अपने आप में हिंसा है। यह विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने 18 दिवसीय पर्यूषण पर्व संबोधित करते कहा कि भगवान महावीर ने निर्भय होना और सभी प्राणियों को भय मुक्त करना संदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि भय हमारी आत्म शक्ति को प्रकट नहीं होने देता है ऐसी आत्मा धार्मिकता में प्रवेश नहीं कर सकती। मुनि कमलेश ने बताया कि भय के वाइब्रेशन से बॉडी अंदर से डैमेज होती है मानसिक और शारीरिक रोगों का शिकार बनता है। राष्ट्र संत ने कहा कि भय मुक्त होना विश्व के सभी महापुरुषों ने दिव्या संदेश दिया है उन्होंने खुद के प्राणों को संकट मे डालकर प्रत्येक प्राणी को भय मुक्त करने का कार्य किया।
जैन संत ने कहा कि जिनके दिलों में भय का निवास होता है वहां प्रेम, करुणा, सद्भाव नष्ट हो जाते हैं भय अपने आप में साक्षात मृत्यु है।
1 सितंबर को अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली के संरक्षक पूर्व केंद्रीय मंत्री वी के कथॉरिया राजकोट से आ रहे हैं जो विज्ञान और गौ रक्षा पर विचार प्रकट करेंगे। पर्यूषण पर्व पर 8 दिन 24 घंटे महा मंत्र का जाप प्रातः 7:00 बजे, प्रार्थना 8:30 अंतगढ़ सूत्र का वचन प्रवचन दोपहर में, कल्प सूत्र प्रतियोगिता प्रश्न मंच प्रतिक्रमण 8 दिन भक्ति का आयोजन रात्रि 8:00 बजे सकल राजस्थानी जैन संघ का आयोजन की ओर से सामूहिक चातुर्मास पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात के गुरु भक्त सेवा में पहुंच गए हैं। दिवाकर मंच महिला शाखा की राष्ट्रीय महामंत्री डॉक्टर आभा गांधी संघ के अनुरोध पर आठो दिन महिलाओं में अपनी सेवाएं देने जा रहे हैं।