ऊंचा बोलोगे तो कुछ लोग ही सुनेंगे परन्तु ऊंची बात कहोंगे तो सभी तक पहुंचेगी – सुशिष्या साध्वी श्री पुण्यप्रभाजी

तलाम । तेरापंथ सभा भवन में आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री पुण्यप्रभाजी के सानिध्य में पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया । साध्वी जी ने कहा कि क्यों, कैसे, कितना, कहा और कब इन तुलाओं से तौल कर जो वाणी मुंह से बोली जाती है वह हमारी भाषा परिलक्षित होती है ।  क्योंकि शब्दों में वह ताकत होती है कि वह एक क्षण में युद्ध की भेरी बजा देता है तो वहीं दूसरे क्षण वहां मैत्री का दरिया भी बहा देता है । आप ऊंचा बोलोंगे तो कुछ ही लोग सुन पाएंगे । परन्तु आप की अगर बात ऊँची होगी तो वह सभी तक पहुंचेगी।
उन्होंने आगे कहा कि खाना खाने से खाने का असर केवल आप के शरीर पर ही पड़ता है । चाहे वह अच्छा हो या खराब हो । किन्तु जो आप बोलते है उसका असर आप पर पड़े या ना पड़े किन्तु सामने वाले व्यक्ति पर उसका असर पड़ता है । साध्वीजी द्वारा कहानी के माध्यम से भी भाषा का महत्व बताया गया है । उससे पूर्व साध्वी जी ने भगवान ऋषभ के पूर्व भवों का वर्णन करते हुए कहा कि हमारी आत्मा अनादिकाल से हैरान- परेशान है। जिसका मुख्य कारण भौतिक सुखों के प्रति आकर्षण । जब तक यह आकर्षण कम नहीं होगा अनंतकाल तक इस संसार में परिभ्रमण करना पड़ेगा।
पर्युषण पर्व में प्रात: 9.30 से 10.30 बजे तक आयोजित प्रवचन में बड़ी संख्या में समाज के पुरुष, महिला एवं बच्चे उपस्थित होकर धर्म लाभ लें रहे है ।