जो कल्पसूत्र को 9 बार अनवरत रूप से सुनता है वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है- परम पूज्य साध्वी श्री अनंत गुणा श्री जी

रतलाम । सौ.वृ.त. श्री राजेंद्र सूरि त्रिस्तुतिक जैन श्वेतांबर श्री संघ एवं चातुर्मास समिति द्वारा नीम वाला उपाश्रय खेरादी वास में रतलाम नंदन प. पू .श्री 1008 जैन मंदिर के प्रेरणादाता, राष्ट्र संत कोकण केसरी गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेन्द्र सुरिश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती एवं मालवमणि पूज्य साध्वी जी श्री स्वयं प्रभाश्री जी म.सा. की सुशिष्य रतलाम कुल दीपिका शासन ज्योति साध्वी जी श्री अनंत गुणा श्रीजी म.सा,श्री अक्षयगुणा श्रीजी म.सा. श्री समकित गुणा श्री जी म.सा. श्री भावित गुणा श्री जी म.सा. उपासना में विराजे हैं जिनका चातुर्मास में नित्य प्रवचन चल रहे हैं इसी तारतम्य में 5 अगस्त गुरुवार को साध्वी श्रीपरम पूज्य साध्वी श्री अनंत गुणा श्री जी ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि कल्पसूत्र प्राण है और जो 9 बार अखंड रूप से कल्पसूत्र सुन लेता है उसको तिरयंच या नारकीय गति में नहीं जाता है वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है और अगर श्रावक ने कल्पसूत्र एक-एक शब्द को सुन लिया और अपने हृदय में उतार लिया तो उसको ना तो दुख आता है ना दरिद्रता आती है उसको जीवन मे केवल सुख ही मिलता है। भगवान महावीर का जन्म हुआ फिर छापे लगाए जाते हैं पहले जन्म होता है फिर छापे लगाए जाते हैं इसलिए कि आज राजकुमार का जन्म है सभी मिलकर परमात्मा का जन्मोत्सव मना रहे।
बच्चों को मोबाइल देकर शरीर को कमजोर आप लोगों ने बना दिया है उसको कम दिखाई देने लग गया है सुनाई भी काम देने लग गया। फिजिकल एक्टिविटी खत्म हो गई है। होटलो में खाना खाने से कर्मबंधन होगा कर्म की निर्जरा नहीं होगी तो कर्म बंधन क्यों करते हो पहले रसोई बनती थी तो धर्म के अनुसार खाने का नाम देते थे। अब खाने में मुसलमानी नाम दे देते हैं शादी में चाइनीस आइटम नाम देते है, बच्चे खाते हैं तो पाप के भागीदार आप बनोगे जैसे नॉनवेज बनता है वैसे ही आजकल वेज बनने लग गया है मसाले भी वैसे ही डालने लग गए हैं शादी अच्छी होनी चाहिए, संस्कारित होना चाहिए। बच्चों को कुसंस्कार आप लोग दे रहे हो उन्हें संस्कार दो जो देखे वह वेज कबाब खाने में लगा हुआ है अरे उसको बगरे हुए चावल कहो।जिन लोगों के यहां आप इस तरह से उटपटांग चीज खा रहे हो वह कौन सा आपका बहुमन करेंगे क्योंकि शुद्ध रूप से होटल में खाना नहीं बनाया जाता होटल में काम और कोई करता है और उसका नाम हिंदुओं के अनुसार होता है और आपको भ्रमित कर देते हैं उस चम्मच से ऊंट पटांग चीज बनाते हैं, जिससे सब्जी बनती है।अपने भगवान कहते हैं कम खाओ, अच्छा खाओ और आप लोग इस तरह से अपने कर्म बंधन कर लेते हो तो रोते-रोते रहते हो तो कर्म बंधन की निर्जरा कैसे होगी ऐसे कर्म बंधन रोते-रोते रोते भी नहीं छूटेंगे। इतना उटपटांग खाते हो की पेट को कब्रिस्तान बना लिया है और बीमार पढ़ते हो। मुसलमान लोग होटल को हिंदुओं का नाम दे देते हैं उनका उद्देश्य हिंदुओं को धर्म से भ्रष्ट करना है।
पहले कुंडली मां-बाप ही होते हैं जैसे वह होते हैं वैसा ही उनका भविष्य का निर्माण होता है। जीवन में अहंकार और क्रोध रखोगे तो कुछ रहने वाला नहीं है नम्र बनो तो ही सब कुछ पाओगे। उक्त विचार व्याख्यान में दिए।
परम पूज्य साध्वी श्री समकीत गुणा श्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि परमात्मा के दर्शन करने के लिए सभी उत्साहित रहते हैं पर्युषण के दिन छोटे होते हैं देखते-देखते देखते निकल जाते हैं क्योंकि इसमें साधना आराधनाएं होती रहती है परमात्मा का अभिषेक करने के लिए 64 इंद्र होते हैं एक अभिषेक में 64512 कलश होते हैं परमात्मा ने कहा जिनवाणी में शंका नहीं करना चाहिए।मेरे प्रभु ने जो कुछ कह दिया वही सही है परमात्मा और गुरु के चरण घर में पड़ जाए तो घर मंदिर बन जाता है। सौ. वृ.त. त्रीस्तुतिक जैन श्री संघ एवं राज अनंत चातुर्मास समिति, रतलाम के तत्वाधान में बड़ी संख्या में श्रावक,श्राविकाए व समाज जन उपस्थित थे।