क्षमापना का दिन हमें परदोष दर्शन का नहीं आत्मदर्शन की प्रेरणा देता है –  साध्वी श्री पुण्य प्रभाजी

रतलाम। आज का दिन अपनी भूलों को देखने का दिन है तथा दूसरों की गलतियों को दफनाकर हर दिलों में मैत्री की धारा बहाने का दिन है ।  जिंदगी के इस मेले में हमारा न जाने कितनो से मिलना होता रहता है तो किसी के दिल को अगर हमारा व्यवहार से, हमारे आचरण से दिल को ठेस पहुंची हो तो आज के इस महापर्व पर उन सबको याद कर क्षमा याचना कर लेनी चाहिए । उक्त बात आचार्य श्री महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी श्री पुण्य प्रभाजी ने पर्युषण महापर्व का मुख्य पर्व मैत्री दिवस पर उपस्थिति धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कही ।
साध्वी श्री ने कहा कि हमारा मन दूसरों को दोषों को न केवल देखने में एक्सपर्ट है बल्कि उनके राई जितने दोषों को भी पहाड़ बनाने में माहिर है।  आज का दिन हमें परदोष दर्शन का नहीं आत्म दर्शन की पावना प्रेरणा देता है । वर्षभर में हुई त्रुटियों का लेखा जोखा करने का संदेश देता है । वैसे ही हम भी सबसे खमत खामणा कर अपने मन को हलका बनाए ।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में साध्वी श्री द्वारा आचार्य श्री तुलसी द्वारा रचित ”बड़े प्रेम से मिलजुलकर सीखे मैत्री मंत्र महान रे” गीत से हुआ।
कार्यक्रम में सभा अध्यक्ष विजय वोहरा, मंत्री मनीष बरबेटा ने बताया कि आज क्षमापना दिवस के अवसर पर उपवास 01, 08,11 और उससे ऊपर तपस्या करने वालों का सामूहिक पारणा किया गया। जैन संस्कार विधि द्वारा संस्कारम श्री देवेन्द्र मेहता ने पारणा करवाया । साथ ही अहमदाबाद, बाड़मेर तथा रतलाम के तपस्वीयों को मंगल भावना पत्रक देकर उनकी तपस्या का अनुमोदन किया तथा साध्वी श्री के सानिध्य में तेरापंथ सभा द्वारा बहुमान किया गया । क्षमापना पर्व के अवसर पर उपस्थित समाजजनों ने एक दूसरे को हाथ जोड़ कर पूरे वर्ष मे जाने – अनजाने में की गई गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हुए मिच्छामि दुक्कडम कहा ।
कार्यक्रम में महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती अनिता मांडोत, युवक परिषद अध्यक्ष पुनीत भंडारी, पूर्व मालवा मंत्री कमलेश बम ने तथा अहमदाबाद से समागत तनीषा चोपड़ा ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।  तेरापंथ सभा भवन में आयोजित क्षमापना पर्व पर बड़ी संख्या में महिला-पुरुष एवं बच्चे उपस्थित थे ।