उज्जैन। बाबा महांकाल की नगरी उज्जैन स्थित सांईबाग कालोनी सांई मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन कथा श्रवण करने आ रहे है। कथा के दौरान कोरोना के नियमों का पालन भक्तों से पूर्णत: रूप से करवाया जा रहा है। गोपाल ठाकुर ने बताया कि द्वितीय दिवस कथा प्रारंभ करने के पूर्व व्यासपीठ की आरती करणसिंह भदोरिया, एएन पाण्डेय, चैनल के माध्यम से कथा का प्रचार करने वाले कपिल व्यास, गोपालसिंह सोनगरा, मिश्रा जी, इंदरसिंह गोयल, बघेल साहब, भार्गव जी, नरेश भदोरिया सहित भक्तजनों ने की। द्वितीय दिवस बुधवार को संत श्री महेश गुरु ने आत्म देव धुंधली और धुंधकारी की कथा को विस्तार से सुनाया। उन्होंने बताया आत्मदेव जो कि एक वेद पाठी ब्राह्मण थे बड़े ही विद्वान थे, लेकिन उनके यहां कोई पुत्र नहीं था। वह ग्लानि से भरे हुए एक दिन जंगल में जा पहुंचे, जहां उन्हें एक साधु के दर्शन हुए साधु ने उन्हें एक फल दिया आत्म देव की पत्नी धुंधली ने वह फल अपनी गाय को खिला दिया। कुछ समय बाद गाय ने एक बच्चे को जन्म दिया। जिसका पूरा शरीर मनुष्य का था। केवल कान गाय के थे। जिसका नाम गोकर्ण रखा गया। भागवताचार्य ने आगे कहा कि एक धुंधली का पुत्र जो कि उसकी बहन का था उसका नाम धुंधकारी रखा गया। आचार्य श्री ने बताया साधु के आशीर्वाद से जो पुत्र हुआ वह ज्ञानी धर्मात्मा हुआ और धुंधकारी दुराचारी व्यभिचारी मदिरा चारी और दुरात्मा निकला व्यसन में पढक़र चोरी करने लगा वेश्याओं को घर में रखने लगा। एक दिन वेश्याओं ने लोभ में आकर इसकी हत्या कर दी। बाद में यह प्रेत बना। जिसकी मुक्ति के लिए गोकर्ण महाराज जी ने भागवत कथा का आयोजन किया। भागवत कथा सुनकर धुंधकारी को मोक्ष की प्राप्ति और प्रेत योनी से मुक्ति मिली। कथा में सुखदेव जी के जन्म की कथा का वर्णन किया नारद जी के कहने पर पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा उनके गले में जो मुंडमाला है। वह किसकी है, भोलेनाथ ने बताया वह मुंड किसी और के नहीं बल्कि स्वयं पार्वती जी के हैं हर जन्म में पार्वती जी विभिन्ना रूपों में शिव की पत्नी के रूप में जब भी देह त्याग करती शंकर जी उनके मुंड को अपने गले में धारण कर लेते। पार्वती ने हंसते हुए कहा हर जन्म में क्या मैं ही मरती रही आप क्यों नहीं शंकर जी ने कहा हमने अमर कथा सुन रखी है। पार्वती जी ने कहा मुझे भी वह अमर कथा सुनाइए शंकर जी पार्वती जी को अमर कथा सुनाने लगे। कथा 30 नवंबर तक प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक चलेगी। समस्त श्रद्धालु भक्तों से अधिक से अधिक कथा श्रवण कर धर्म लाभ लेने की अपील की है।