मुंबई भायंदर ओस्तवाल बगीची समता भवन 22 सितंबर 2024 । बाहर की प्रदूषण को लेकर सरकार और जनता जितनी चिंतित है उतनी आंतरिक प्रदूषण से बेखबर है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने संबोधित करते कहा कि आंतरिक वैचारिक प्रदूषण को नियंत्रण लाए बिना बाहरी प्रदूषण से मुक्ति नहीं पाइ जा सकती। उन्होंने कहा कि क्रोध, लोभ, इष्र्या, अहंकार, हिंसा, पश्चात संस्कृति का अंधानुकरण आदि आंतरिक प्रदूषण ही बाहरी प्रदूषण की जननी है।
मुनि कमलेश कमलेश ने बताया कि फिल्मों, दूरदर्शन, इंटरनेट के माध्यम के माध्यम से जिस प्रकार अश्लीलता, फूहड़ता, कामुकता परोसी जा रही है इसे मानवीय संरचना तार-तार हो रही है।
राष्ट्र संत ने बताया कि जब तक सरकार शिक्षा पद्धति में चरित्र निर्माण खूब पाठ्यक्रम में प्रधानता नहीं देगी, तब तक संस्कृति और संस्कार की रक्षा होना असंभव है। जैन संत ने कहा कि मानवीय मूल्य के मापदंड मैं जो गिरावट आ रही है वह सबसे ज्यादा चिंता का विषय है । सबको मिलकर समूह प्रयास करना होगा ।
आयोजित धर्मसभा में डूंगला, पालघर, कोटा, सवाई, माधोपुर, चौथ का बरवाड़ा, जयपुर, गांधीनगर, रायपुर, छत्तीसगढ़, कानोड़, उदयपुर आदि कई गांव के गुरु भक्त सेवा में उपस्थित हुए । डूंगला गौशाला से आए मांगीलाल जरौली ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्र संत के गुनानुवाद किए ।