जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिये अनुशासन का होना बहुत जरूरी है – पूज्याश्री प्रियदर्शनाजी म.सा.

सुरेश जी भाणावत ने 26 उपवास के प्रत्याख्यान मसा से लिये

रतलाम 25 सितंबर । श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक रतलाम पर आयोजित धर्मसभा में जिनशासन चंद्रिका, मालव गौरव पूज्याश्री प्रियदर्शनाजी म.सा. (बेरछावाले) एवं तत्वचिन्तिका पूज्याश्री कल्पदर्शनाजी म.सा. ने कहा कि जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिये अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। डिसिप्लिन की जो स्पेलिंग है । उसमें पहला अक्षर D (डी) अंग्रेजी वर्णमाला का चौथा अक्षर है, इसी प्रकार यदि Discipline (अनुशासन ) के सभी अक्षरों की जोड़ लगाई जाए तो यह पूरी 100 आएगी।
इस प्रकार हमें यह सीख मिलती है की जीवन के किसी भी क्षेत्र में शत प्रतिशत सफलता प्राप्त करना हो तो डिसिप्लिन जरूरी है। परिवार हो, कार्य स्थल हो या धर्म स्थल हो, सभी जगह का अपना एक डिसिप्लिन होता है जिसके पालन से सफलता मिलती है और गरिमा में अभिवृद्धि होती है।
एक छोटा सा उदाहरण की धर्मसभा में बैठने के लिये अगर कुर्सी लगी हुई है तो चलती धर्मसभा में कुर्सी को खींचकर आवाज करने से भी सभा का अनुशासन भंग होता है, यदि आवश्यक हो तो कुर्सी को बिना आवाज के उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखना चाहिए।
किसी शायर ने कहा है की
अब यह लाइन पूरी हो गई है:
कश्ती डूबी इसका मुझे गम नहीं था,
ग़म इस बात का था कि जहाँ कश्ती डूबी, वहाँ पानी बहुत कम था।
अगर शायर की इस लाइन को हम आध्यात्मिकता से जोड़े तो इसका अर्थ यह निकलता है कि नर्क, तिर्यंच, और देवगति से भी श्रेष्ठ मानव जन्म मिला है। मानव के भव में ही पुरुषार्थ करके इस भव को सफल बनाया जा सकता है मोक्ष मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है । कश्ती वंही डूबी जंहा पानी कम था मतलब बहुमूल्य मानव जन्म प्राप्त करके भी इस भव को व्यर्थ में डूबा दिया।
क्यूँ आया इस जग में मन में विचार कर ले,
धर्म के पथ पर चलके बे?ा यह पार कर ले।
जीवन की बगिया अपनी गुल?ार कर ले,
खुशियों के कमल खिलेंगे, मुक्ति के महल मिलेंगे
भक्त बनेगा भगवान यँहा पर तु दो दिन का मेहमान।
पर्युषण पर्व के उपरांत भी श्रीसंघ में तपस्या के ठाठ लगे हुए है, जिसके अंतर्गत सुरेशजी भाणावत ने आज धर्मसभा में 26 उपवास के प्रत्याख्यान मसा से लिये आपका मासक्षमण पूर्णता की और अग्रसर है।

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