संसार की सभी चीजें क्षणभंगुर फिर भी मन क्यों ललचाता है- राष्ट्रसंत 108 श्री प्रमुख सागरजी महाराज

राष्ट्रसंत के पद आरोहण एवं पीच्छी परिवर्तन कार्यक्रम में प्रवचन

जावरा (अभय सुराणा) । संसार की सभी चीजें क्षणभंगुर है फिर भी मन क्यों ललचाता है ? यदि हमें अपने जीवन को सार्थक बनाना है तो धर्म, उपासना, दान ,पुण्य,संयम एवं साधना को जीवन में अंगीकृत करें यह प्रवचन राष्ट्रसंत 108 श्री प्रमुख सागरजी महाराज ने जावरा दिगंबर जैन मांगलिक भवन में आयोजित प्रथम पद आरोहण एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह में व्यक्त किए ।
प्रवचन में आपने कहा है कि जावरा का चातुर्मास अविस्मरणीय है मेरे जीवन की शुरुआत जावरा से हुई संघ में शामिल हुआ तो जावरा, आचार्य बना तो जावरा, मुनिश्री बने तो जावरा, दो समाधि, तीन दीक्षा और ऐतिहासिक अहिंसा तीर्थ का निर्माण भी जावरा में हो रहा है इसलिए मैं जीवनभर जावरा को विस्मृत नहीं कर सकता । जैन धर्म में आचार्य 10 धर्मों में जीते हैं आचार्य के लिए जीवन में भले ही आचार्यत्व प्राप्त ना हो कोई बात नहीं, लेकिन सही आचरण करना आ जाना चाहिए कंठस्थ ज्ञाता होना जरूरी नहीं किंतु ह्रदय का ज्ञान बहुत जरूरी है । सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं चित्र अनावरण के साथ दिल्ली निवासी धन्य कुमार जैन इटावा निवासी शैलेश जी जयपुर निवासी नवीन गोदा एवं इंदौर निवासी सुनील रोग्या मंदसौर निवासी राजकुमार बाकलीवाल अनिल कियावत सुनील एवं अजय ने किया । श्री 108 पुष्पवर्षा योग समिति के प्रवक्ता रितेश जैन ने बताया कि मंदसौर एवं इटावा (उत्तर प्रदेश) श्री संघ की ओर से आगामी चातुर्मास की विनती करते हुए राष्ट्रसंत 108 श्री प्रमुख सागरजी महाराज को श्रीफल भेंट किए गए । पिच्छी परिवर्तन के लाभार्थी साधना विजय औरा एडवोकेट, अनिल, अर्पण काला, राजेश भाचावत, सुरेश अग्रवाल, लवीन गोधा जयपुर एवं दिलीप लुहाडिया परिवार रहे । इन सभी लाभार्थियों ने सपरिवार मस्ती में नाचो गाओ मेरे गुरुवर आए हैं की मधुर स्वर लहरियों के बीच आचार्यश्री, मुनिश्री, एलक एवं सभी साध्वी माताजी पीच्छी भेंट की । कार्यक्रम का संचालन अंतिम कियावत एवं पुखराज सेठी ने किया । श्री 108 पुष्प वर्षा योग समिति के अध्यक्ष महावीर मादावत ने आभार माना।
इन नियम का लिखित कराया परित्याग
आचार्य श्री प्रमुख सागरजी महाराज ने अनेक भक्तों से सच्चे देव, शास्त्र एवं गुरु पर दृढ़ आस्था, सप्त व्यसन (मांस, शराब, जुआ खेलना, परस्त्री, वेश्यागमन ,शिकार एवं अन्य) बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गांजा, गुटखा, पाउच, शहद, पान ,ब्रेड ,बिस्किट, टॉफी, चिंगम, सोने चांदी का वर्क युक्त मिठाई ,आइसक्रीम, चमड़े से बनी सामग्री, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, शैंपू, साबूदाने, बफेट द्वारा भोजन, आलू, प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, अरबी, शकरकंद ,बैंगन, फूलगोभी, रेशम कोसा के वस्त्रों का त्याग करने के साथ ही नियमित देवदर्शन, अभिषेक, नियमानुसार पूजन, स्वाध्याय ,रात्रि- भोज का त्याग ,गर्भपात, अश्लील पिक्चर एवं कामिक्स का परित्याग, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन, पटाखे ,फुलझड़ी का परित्याग एवं वर्ष में कम से कम 2 बार गुरु के दर्शन लगातार तीन वर्ष तक करने के लिखित संकल्प प्राप्त किए । इसी के साथ परिग्रह के अंतर्गत खेत ,जमीन ,मकान, सोना -चांदी का निर्धारित एवं कालावधी परिग्रह करने का भी संकल्प दिलवाया ।