जावरा (अभय सुराणा) । जिन शासन गौरव पूज्य गुरुवर श्री उमेश मुनि जी मा. सा. अणू की आज्ञानुवर्तनी पूज्या महासती श्री संयमप्रभाजी म . सा . आदि ठाणा 9 रंगू जी महिला स्थानक सोमवारिया बाजार में सुख साता से विराजित है महासती सौम्यप्रभा श्री जी ने एक महती*धर्म सभा नवकार भवन कुम्हारीपुरा में फरमाया कि वाणी कैसी होनी चाहिए उन्होंने वाणी के ऊपर अकबर बादशाह के उदाहरण से समझाने की कृपा करी की अकबर बादशाह ने पूछा कि संसार में सबसे मीठा क्या होता है बीरबल ने उत्तर दिया सबसे मीठी वाणी होती है बादशाह बोले वाणी से पेट नहीं भरा जा सकता है पर बीरबल ने बताया कि पाच पकवान जीमाकर भी उसको व्यंग भरी वाणी बोलने से आपका जिमाया कुछ काम नहीं आता है इसलिए हमेशा जीवन में वाणी का बहुत प्रभाव पड़ता है पूज्य महासती श्री प्रज्ञा श्री जी ने फरमाया कि स्थानक भवन में आना आना सरल है किंतु धर्म का जीवन में आना बहुत कठिन है सदा धर्म को आचरण में लाना आवश्यक है धन से नहीं धर्म से प्रेम हो आगे आपने बताया कि आंखें तीन प्रकार की होती है
(1) चमड़े की आंखें- हम जब सो कर उठते हैं तौ कहते हैं जाग गए हम चमड़े की आंखों से जागे।
(2) बुद्धि की आंखें- किसी बातों को बुद्धि से जानने के बाद उसको समझ कर आचरण में लाना ।
(3) हृदय की आंखें- हृदय की आंख खोलने के लिए हमें सुविधाओं को तिलांजलि देनी पड़ती है सारी सुविधाओं से अलग हटकर ही धर्म आराधना कर सकते हैं धर्म आराधना हमें सुबह-सुबह प्रभु भक्ति से करना चाहिए प्रातः काल उठकर आठ नवकार, 9 वंदना करना, एवं 24 तीर्थंकर की स्तुति करके करना चाहिए जो हमारे आठ कर्मों को छय करने में सहायक हे
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष इंद्रमल टुकड़ियां एवं शांत क्रांत संघ के अध्यक्ष श्री अनिल पोखरना एवं श्री संघ के पूर्व महामंत्री सुभाष टुकड़ियां पूर्व अध्यक्ष सुशील चपलोद, ट्रस्टी राकेश मेहता ,श्रीपाल कोचट्टा, पवन डांगी, ललित भंडारी, अंकुर जैन ,सुभाष चौरड़िया, अंकित मेहता, आनंद राका ,अशोक गोलेछा, प्रमोद छाजेड़ ने अधिक से अधिक धर्म आराधना एवं व्याख्यान को सफल बनाने की अपील की है।