जावरा (अभय सुराणा)। प्रबल पुण्य वाणी से मिलते हैं वह दुर्लभ होते हैं मूल्यवान वस्तु दुर्लभ होती है सामान्य वस्तु*हर जगह मिल सकती है मनुष्य जन्म और उत्तम कुल दोनों मिलना बहुत दुर्लभ है आई टीआई की परीक्षा मैं लाखों बच्चे परीक्षा देते हैं पर सिलेक्शन बहुत ही कम विद्यार्थियों का होता है जिस प्रकार सिलेक्शन दुर्लभ है ठीक उसी प्रकार मानव जन्म और उत्तम कुल भी भगवान ने दुर्लभ बताया है उपरोक्त प्रेरक विचार जैन दिवाकर भवन दिवाकर मार्ग पर जिन शासक गौरव पूज्य गुरुवर श्री उमेश मुनी जी मा.सा. अणू की आज्ञान्यूवर्तनी पूज्य महासती श्री संयम प्रभा जी महारा. सा. ने कहे आगे उन्हौने कहा कि इस संसार में भगवान की वाणी सुनने वाले और सुनकर जीवन में उतरना तथा उसका आचरण करने वाला व्यक्ति पुण्य का उपार्जन करता है जिस धर्म में छह काया के जीवों की रक्षा हो वही सच्चा धर्म भगवान ने बताया जो शरीर से और इंद्रियों से प्यार करता है वह जन्म मरण के चक्कर में घूमता रहता है भव भ्रमण करता रहता है और जो मानव अपने जीवन में व्रत को अंगीकार करता है वह मानव शाश्वत सुख को प्राप्त करता है जिसने संसार के सुखों को क्षणिक समझा और मोक्ष के सुख को शाश्वत समझा वही मानव व्रत को अंगीकार करता है श्री संघ के अध्यक्ष इंद्रमल टुकड़िया ने बताया कि कल के प्रवचन जैन दिवाकर भवन पर होंगे धर्म सभा का संचालन महावीर छाजेड़ ने किया उपरोक्त जानकारी सुभाष टुकड़ियां ने दी ।