नौसेना दिवस भारतीय नौसेना की वीरता, शौर्य और देश के प्रति योगदान का प्रतीक है – डॉ. सी.एम.मेहता

जावरा (अभय सुराणा)। शासकीय महाविद्यालय कालूखेड़ा में दिनांक 4.12.2024 को नौसेना दिवस के अवसर पर सेना में करियर कैसे बनाएं विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रथम मुख्य वक्ता क्रीड़ा अधिकारी डॉ विजय कुमार दीक्षित ने छात्र-छात्राओं को नौ सेना दिवस के इतिहास के बारे में बताया तथा नौ सेना में भर्ती के लिए कौन-कौन से मानदंड होते हैं उसके बारे में जानकारी प्रदान की। डॉ दीक्षित ने छात्र-छात्राओं को अग्नि वीर में क्या-क्या भर्ती नियम है उसके बारे में भी विस्तृत जानकारी प्रदान की तथा छात्र-छात्राओं को सेना में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के द्वितीय मुख्य वक्ता डॉ सी.एम मेहता ने अपने वक्तव्य में बताया कि भारतीय नौसेना भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है, जो की 400 वर्षों के अपने गौरवशाली इतिहास के साथ न केवल भारतीय सामुद्रिक सीमाओं अपितु भारतीय ४सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षक है। आज का दिन भारतीय नौसेना की वीरता, शौर्य और देश के प्रति उसके योगदान का प्रतीक है। नौसेना दिवस का इतिहास और महत्व भारतीय नौसेना के उन उपलब्धियां से जुड़ा है जो न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है बल्कि भारत की समुद्री ताकत को भी दर्शाती है। इसके साथ ही यह दिन देशवासियों को भारतीय नौसेना के गौरवशाली इतिहास से जोड़ता है और उनको बलिदान भावना याद दिलाता है । डॉ मेहता ने बताया कि भारतीय नौसेना दिवस का सीधा संबंध 1971 के भारत- पाकिस्तान युद्ध से है इस युद्ध के दौरान नौसेना ने ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर ऐतिहासिक हमला किया था। यह हमला 4 दिसंबर 1971 को हुआ था इसमें भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत और रणनीति कौशल का अद्भुत प्रदर्शन किया था, इसी जीत की स्मृति में प्रतिवर्ष 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है। भारतीय नौसेना का महत्व न केवल सैन्य दृष्टिकोण से है बल्कि यह भारत की आर्थिक और भौगोलिक सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह समुद्री मार्गों की निगरानी करती है, समुद्री व्यापार को सुरक्षित रखती है, मानवीय सहायता और आपदा राहत में भी तथा समुद्री डकैती ,अवैध तस्करी और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में भी अहम भूमिका निभाती है। आज की भारतीय नौसेना दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेनाओं में से एक है। भारतीय नौसेना ने पिछले कुछ दशकों में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दिया है। डॉ मेहता ने अपने वक्तव्य मे सेना के आदर्श वाक्य शन्नो: वरुण: (जल देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी हो) की व्याख्या करते हुए बताया कि यह संस्कृत भाषा में लिखा गया है जिसमें जल देवता वरुण से मंगल कामना की है। आपने बताया कि नौसेना 2024 की थीम “नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से शक्ति और सामर्थ्य” नौसेना की आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करती है ,जो इसके संचालन क्षमताओं को मजबूत करती है और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मिलिंद डांगे द्वारा छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया गया कि वह किस प्रकार मेहनत करके सेना में भरती हो सकते हैं तथा अपने देश का नाम रोशन कर सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन प्रो हुमा परवीन मंसूरी द्वारा किया गया तथा आभार प्रो चेतन देवड़ा ने माना। कार्यक्रम में डॉ अंजेला सिंगारे, प्रो हीरा चौहान, प्रो नाजिश शेख, डॉ चेतना कोठारी, डॉ अर्चना पांडेय, डॉ सतीश जयसवाल, डॉ हृदेश्वर गुप्ता उपस्थित रहे।

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