मनुहार पत्रिका शुभारम्भ एवं परमात्मा का शक्रस्तव अभिषेक
रतलाम । इंदौर में 7 फरवरी को बंधु बेलड़ी पू.आचार्य श्री जिन-हेमचन्द्रसागरसूरीश्वर जी म.सा.की निश्रा में आयोजित होने जा रहे आचार्य पदवी के लिए 36 दिवसीय महोत्सव की शुरुआत रतलाम से हुई। पदवी प्राप्त करने जा रहे बंधु बेलड़ी के शिष्यरत्न गणिवर्य श्री पद्मचन्द्रसागरजी म.सा. एवं गणिवर्य श्री आनंदचन्द्रसागरजी म.सा. की सांसारिक पारिवारिक पृष्ठभूमि रतलाम ही रहा है।
गणिवर्य श्री का वधामना –
रविवार को रतलाम में महोत्सव की मनुहार पत्रिका का शुभारम्भ प्रवचन प्रभावक पू.आ.श्री कुलबोधिसूरीश्वर जी म.सा. की निश्रा में मोहन टाकिज तथा तेजा नगर स्थित महावीर धाम में परमात्मा का शक्रस्तव अभिषेक रखा गया। श्रीसंघ के साथ समाजजनों ने भक्तिभाव के साथ अभिषेक किया। दोनों ही समारोह में पू.आ.श्री प्रसन्नचन्द्रसागर सूरीश्वर जी म.सा.एवं पदवी प्राप्त करने जा रहे पू.गणिवर्य श्री पदमचन्द्रसागर जी म.सा.आदि ठाणा की निश्रा रही। इस मौके पर गणिवर्य श्री पदमचन्द्रसागर जी म.सा. का देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ एवं ऋषभदेवजी केसरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी ने जयघोष और हर्षध्वनि के बीच वधामना किया।
म.प्र.और गुजरात में होंगे आयोजन –
समारोह में पू.आ.श्री कुलबोधिसूरीश्वर जी म.सा. की निश्रा में महोत्सव मनुहार पत्रिका का शुभारम्भ करते हुए बताया गया कि 5 जनवरी से आरम्भ हुए 36 दिवसीय महोत्सव में मध्यप्रदेश और गुजरात के विभिन्न श्रीसंघों में विविध आयोजन होंगे। जिसमे महापूजन, स्नात्र महोत्सव,जाप,जीवदया सहित विशिष्ट भक्ति शामिल है। आचार्य पदवी महोत्सव इंदौर में 5 से 9 फरवरी तक आयोजित होगा। आचार्य पद प्रदान महोत्सव 7 फरवरी को दलाल बाग एरोड्रम मार्ग इंदौर में होगा। महोत्सव को निश्रा प्रदान करने के लिए पू.आचार्य श्री जिन-हेमचन्द्रसागरसूरीश्वर जी म.सा. अनेक आचार्यश्री सहित विशाल श्रमण वृंद का गुजरात से इंदौर के लिए विहार निरंतर जारी है। देश के विविध क्षेत्रों की हस्तियाँ महोत्सव में शामिल होंगी।
रतलाम में हुआ संयम जीवन संस्कार सिंचन –
गणिवर्य श्री पद्मचन्द्रजी – आनंदचन्द्रसागरजी म.सा. की दीक्षा 90 के दशक में हुई थी। गणिवर्यश्री का 70 के दशक में बाल्य एवं किशोरकाल रतलाम के सेठजी का बाजार, सायर चबूतरा, मोहन टाकिज क्षेत्र में बीता है। सांसरिक पक्ष से दादा श्री लक्ष्मीचंद चोथमलजी मेहता एवं नाना का परिवार शैतानमल जी पितलिया परिवार रतलाम में ही रहते थे। रतलाम के सेठजी के बाजार स्थित गुजरती उपाश्रय में गणिवर्य श्री ने प्रतिक्रमण, पौषध सहित विभिन्न तप आराधनाएँ की और यही से उनके मन में संयम जीवन के संस्कारों का सिंचन हुआ था।
सम्पूर्ण परिवार ने ली दीक्षा –
दोनों ही गणिवर्य एवं इनके सम्पूर्ण परिवार ने आचार्य श्री बंधु बेलड़ी के करकमलों से संयम जीवन का स्वीकार इंदौर में वर्ष 1996 में किया और जिनशासन की सेवा में सम्पूर्ण अहोभाव से समर्पित है। इनके सांसारिक पिता पू.मुनिराज श्री मेघचन्द्रसागरजी म.सा, मातुश्री पू.साध्वी श्रीमेघवर्षा श्रीजी म.सा.एवं सांसरिक बहन पू.साध्वी श्री पदमवर्षाश्रीजी म.सा.है। दोनों ही गणिवर्य ने जप-भक्ति-गुरुनिष्ठा, संयम-चुस्तता से समृद्ध अध्यात्म- मुखी मुनिवर ने व्याख्यान के क्षेत्र में भी विशारदता हासिल की है।