जन्म से कोई डाकू या संत नहीं होता है जैसी संगति मिलती है उसी में वह बदल जाता है – राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश

जालौर। जन्म से कोई डाकू या संत नहीं होता है जैसी संगति मिलती है उसी में बदल जाता है दुर्जन की संगति आतंकवादी से भी खतरनाक है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने जालौर जिला जेल में कैदी बंधु और अधिकारियों का संयुक्त संबोधन में कहा कि संगति का असर इंसान तो क्या पशु पक्षी और प्रकृति पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि कुसंगति संस्कारों का नाश करती है धन की बर्बादी करती है चरित्र का पतन करती है आत्मा को दुर्गति का मेहमान बनाती है।
मुनि कमलेश ने कहा कि एक छेद नाव को डुबो देती है एक बुराई मानव जीवन को खाक में मिला देती। राष्ट्रीय संत ने स्पष्ट कहा कि जन्म जन्मांतर के अज्ञान और पापों को एक पल का सत्संग दूर कर देता है पापी से पावन आत्मा से परमात्मा के रूप में बदल सकता है।
जैन संत ने कहा कि आत्मग्लानि और पश्चाताप से पापों से मुक्ति मिलती है गलती को सुधार ले वह इंसान हैं जानबूझकर गलती पर गलती करता जाए भगवान और शैतान है उसका विश्व के किसी धर्म में प्रवेश नहीं है।
अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली की ओर से मुनि कमलेश के जन्मदिन पर जेल में प्रभावना वितरित की गयी जेलर अब्दुल वहाब राष्ट्रसंत का अभिनंदन किया कैदी बंधुओं ने नशा मुक्ति और अपराध न करने का संकल्प लिया बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रमेश सोलंकी मुमताज अली सय्यद सुरेश राव बार के वर्तमान अध्यक्ष तरुण सोलंकी विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित थे संघ के पूर्व अध्यक्ष किशोर चौधरी पूर्व मंत्री अनिल धारीवाल ने प्रशासन का आभार व्यक्त किया