पावापुरी (जीरावला तीर्थ जैन आराधना भवन) । गुरु शब्द में पूरे ब्रह्मांड की शक्ति छिपी हुई है हमारी आंतरिक चेतना को जागृत करने के लिए सद्गुरु की परम आवश्यकता है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने शताब्दी गौरव युगपुरुष उपाध्याय प्रवर श्री मूलचंद जी महाराज की 82 वी दीक्षा जयंती पर जीरावला पार्श्वनाथ जैन उपाश्रय में संबोधित करते कहा कि गुरु ब्रह्मा विष्णु महेश से भी बढ़कर है उनका निर्माण भी गुरु ने ही किया है । उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति का साक्षात्कार उसका संपूर्ण विकास हमारा मुख्य लक्ष्य होना चाहिए ।
राष्ट्र संत ने स्पष्ट कहा कि मिट्टी और सोना जिस की निगाह में समान होता है वही सच्चा गुरु होता है सादगी और सहजता उसका सच्चा सिंगर होता है मुनि कमलेश ने बताया कि गुरुता और विलासिता में 36 का आंकड़ा है सद्गुरु साधना और त्याग के प्रतीक होते हैं ।
जैन संत ने कहा कि पूरी जैन समाज में वर्तमान में 82 वर्ष का संत जीवन जीने वाले दुर्लभ संत हैं अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच में दिल्ली 18 राज्यों में हजारों कार्यकर्ता तीन दिवसीय 1 से 3 मार्च तक समारोह आयोजित करेंगे जिसमें प्रथम दिन 82 जीवो को अभय दान देना दूसरे दिन सेवा दिवस तीसरे दिन सामायिक दिवस अपनी अपनी परंपरा से चारों संप्रदाय के सावत एक साथ करेंगे मूर्तिपूजक आचार्य रत्नाकर सुरीश्वर जीने उपाध्याय प्रवर को एकता का प्रतीक बताया ऊपर वीडियो में उपाध्याय प्रवर इतनी उम्र में भी मेंओतप्रोत होकर भक्ति रस में डूबे हुए।