विश्व के सभी धर्मों का मूल प्राण मर्यादा है – राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश

भीम (राजस्थान) 2 अप्रैल 2020 । मर्यादा की लक्ष्मण रेखा का जब-जब उल्लंघन किया तब-तब उत्थान की वस्तु भी विनाश में बदल गई मर्यादा में रहकर उसका उपयोग किया तो वरदान बन गई उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने रामनवमी महावीर जयंती हनुमान जयंती प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मनाते हुए कहा कि विश्व के सभी धर्मों का मूल प्राण मर्यादा है मुनि कमलेश ने कहा कि नदी दो किनारों की मर्यादा में होती है तो सिंचाई का काम करती है और मर्यादा तोड़ती है तो तांडव नृत्य करती है । उन्होंने कहा कि इंद्रियों के नियंत्रण की मर्यादा से आत्मा में अनंत ऊर्जा का संचार होता है वही अलौकिक शक्ति को प्रदान करता है राष्ट्रसंत स्पष्ट कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ कर मर्यादा तोड़ी तो भूकंप अतिवृष्टि अनावृष्टि कोरोना वायरस का कहर हम पर टूट पड़ा है प्रकृति की रक्षा में ही हमारी रक्षा है। मुनि कमलेश ने कहा कि धार्मिक स्थलों की मर्यादा का पालन करवाना धर्म गुरु का कर्तव्य है धार्मिक लोगों का उत्तर दायित्व है यदि वहां अराजकता होती है तो उसको फैलाने वाले के साथ साथ धर्मगुरु भी बराबर के दोषी हैं दोषियों से पहले उनको दंडित किया जाए सरकारी आदेश भी धर्म का अभिन्न अंग है उसको अनदेखा करना धर्म और महापुरूषों का अपमान करने के समान है मुनि ने बताया कि धर्मगुरु प्रशासन आपस में मिलकर समन्वय स्थापित करते हुए शांति सद्भाव का कार्य करते हैं यही उनका सच्चा धर्म है इस मौके पर राजसमंद जिले में जिस सतर्कता से कोरोना वायरस को पराजित किया अभिनंदन के पात्र हैं भीम के एसडीएम सुमन सोनल नायब तहसीलदार श्री हितेश त्रिवेदी आदि अधिकारियों का श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ भीम के मंत्री भीकम चंद कोठारी वरिष्ठ कार्यकर्ता महेंद्र कोठारी ने स्वागत किया उप जिलाधिश कार्यालय मी प्रसाद वितरित किया गया प्रवर्तक सुमन मुनि जी पंडित रितेश मुनि जी आदि संतों ने प्रशासन को बधाई दी।