- अंधेरे को भेदने के लिए एकाग्रता जरूरी – वल्लभ भंसाली
- रतलाम की जनता सर्वग्राही-सर्वस्पर्शी – चेतन्य काश्यप
रतलाम 24 अपै्रल 2022। बाजना रोड स्थित पर्यावरण पार्क के सामने सत्य विज्ञान फाउण्डेशन मुम्बई द्वारा सत्य, शांति व शक्ति के केन्द्र के रूप में ‘सुख-धाम’ की स्थापना की जाएगी। ‘सुख-धाम’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए सैलाना रोड स्थित श्रीजी पैलेस में फाउण्डेशन द्वारा परिचर्चा आयोजित की गई। इसे सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता वल्लभ भंसाली ने कहा कि अंधेरे को भेदने के लिए एकाग्रता जरूरी है। भीतर जाने का कार्य ही सत्य है। उसी में शांति है और यही शक्ति पूंज है, जिसे ‘सुख-धाम’ सार्थक करेगा। परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे शहर विधायक चेतन्य काश्यप ने कहा कि रतलाम की जनता सर्वग्राही एवं सर्वस्पर्शी हैं। वर्तमान में सर्वत्र एकाग्रता देने वाले ‘सुख-धाम’ की जरूरत है।
मुख्य वक्ता सत्य विज्ञान फाउण्डेशन मुम्बई के फाउण्डर श्री भंसाली ने कहा कि जिस प्रकार एक अच्छी तस्वीर के लिए कैमरे पर कैमरामेन के हाथ स्थिर रखना जरूरी होते है, उसी प्रकार खुद पर नियंत्रण के लिए स्थिरता जरूरी है। यह स्थिरता ही एकाग्रता है। मनुष्य को सदैव महसूस होता है कि उसके पास कोई न कोई अभाव है और इस अभाव की पूर्ति के लिए वह कुछ न कुछ करता रहता है। फिर भी अभाव की पूर्ति नहीं हो पाती है। एकाग्रता वह रामबाण है, जिससे सारे अभावों को पूर्ण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने हमंे जो दिया है, हमारे मन में उससे सवाया उसे देने की प्रवृत्ति होनी चाहिए, लेकिन मनुष्य प्रकृति की सौगातों को अपना समझता है और उनका दोहन करता रहता है। इस प्रवृत्ति को बदलना होगा और प्रकृति को अपना न समझते हुए उससे मिलने वाले अंश से अधिक लौटाने की मनोवृत्ति विकसित करनी पड़ेगी। श्री भंसाली ने कहा कि जितना सुख लेने में नहीं मिलता उतना देने में होता है। ‘सुख-धाम’ की परिकल्पना इसी उददेश्य को पूरा करने के लिए की गई है।
विशेष अतिथि भाषाविद् एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयकुमार जलज ने कहा कि रतलाम का सौभाग्य है कि मुम्बई में बैठा व्यक्ति यहां के लोग कैसे सुखी हो, इसकी कल्पना कर रहा है। सुख का चिंतन व्यक्ति घर पर भी कर सकता है, लेकिन दूसरों के लिए करने की भावना मानवीय इच्छा है और यही व्यक्ति को सबसे से अलग बनाती है। उन्होंने रतलाम के विकास में विधायक चेतन्य काश्यप के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से शहर ही नहीं, शहरवासियों का सर्वांगीण विकास हो रहा है।
परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए विधायक श्री काश्यप ने कहा कि ‘सुख-धाम’ की कल्पना एक लम्बी प्रक्रिया का हिस्सा है। खुद के भीतर जाने की प्रक्रिया व्यक्ति कही भी कर सकता है, लेकिन इसके लिए स्थापत्य की अपनी महत्ता है। हमारी संस्कृति में यम, नियम एवं आसन आदि का विशिष्ट महत्व है। इनके आचरण से व्यक्ति अति चेतन्यता की स्थिति को प्राप्त कर सकता है। सामान्यतः यह प्रयोग जीवनशैली बदलने के काम आते है, जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अतिप्रासंगिक हो गए है। उन्होंने कहा कि मनुष्य का मूल स्वभाव सामुहिकता है। घर पर भी ये कार्य हो सकता है, लेकिन स्थापत्य होगा, तो उसका सुकून अलग मिलेगा। श्री काश्यप ने ‘सुख-धाम’ की स्थापना के कार्य में पूरा सहयोग देने की घोषणा की। परिचर्चा के दौरान मुख्य वक्ता श्री भंसाली ने उपस्थितजनों को ध्यान भी कराया। राजस्थान से आए महन्त गणेशपुरीजी ने रतलाम में बनने वाले ‘सुख-धाम’ में सेवाएं देने की घोषणा की। परिचर्चा के आरंभ में संयोजक मुकेश जैन ने विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन आशीष दशोत्तर ने किया। आभार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने माना।