आत्म शुद्धि के लिए सभी धर्मों में तप को सर्वोपरि स्थान दिया है – राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश

मंदसौर जिवा गंज । आत्मा पर लगे अनंत जन्मों के कर्म रूपी-मेल को तप रूपी साबुन सम्यक ज्ञान रूपी पानी के द्वारा निर्मल पवित्र होकर साक्षात परमात्मा के रूप में बदल सकती हैं । राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने तपस्वी घनश्याम मुनि जी के 33 दिवसीय तप समापन पर संबोधित करते कहा कि आत्म शुद्धि के लिए सभी धर्मों में तप को सर्वोपरि स्थान दिया है । उन्होंने कहा कि तप और त्याग का अहंकार भी उत्थान के बजाय अभिशाप के रूप में परिवर्तित हो जाता है कर्म बंधन का कारण बन जाता है । मुनि कमलेश ने बताया कि त पका आभूषण क्षमा है सच्चा सिंगार हैअनुकूलता और प्रतिकूलता में समभाव बनाए रखना सबसे महान तपस्या है
राष्ट्रसंत ने बताया कि तपस्या से आत्मा कुंदन बनती है निखरती है अनेक प्रकार सिद्धियां प्राप्त होती है देव शक्ति थी उनके सामने नतमस्तक होती है । जैन संत ने बताया कि तब अपने आप में औषधि है अनेक प्रकार की बीमारियों से मुक्ति दिलाती है प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण होता है आत्म शक्ति जागृत करने के लिए इससे बड़ा और कोई साधन नहीं हो सकता आसक्ति का त्याग करना अपने आप के महान तप है
विधायक यशपाल जी सिसोदिया की अध्यक्षता में 12 अगस्त को प्रात: 10:00 बजे तपस्वी घनश्याम मुनि जी का पालना महोत्सव आयोजित किया जा रहा है जैन दिवाकर तपो मूल भवन जीवा गंज जनकुपूरा के पवित्र प्रांगण में कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया गौतम मुनि जी ने विचार व्यक्त किए सभा का संचालन अजीत खटोड़ ने किया ।