ऑनलाइन शिक्षा तात्कालिक व्यवस्था है शिक्षण का माध्यम नहीं

रतलाम । लॉक डाउन से देशव्यापी उपजी समस्या के कारण प्रत्येक क्षेत्र में इसके प्रभाव और दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं विशेषकर देश की शिक्षा व्यवस्था को गहरा झटका लगा है । पारंपरिक एवं स्कूली शिक्षा को इससे काफी नुकसान हुआ है परीक्षा  समय पर हो नहीं पाई परिणाम अभी तक घोषित नहीं हो पाए । आगामी सत्र में स्कूल और कॉलेज आरंभ होने के अभी तक कोई संकेत सरकार की तरफ से नहीं है ऐसे में वरिष्ठ अधिकारी शिक्षाविद शिक्षा प्रशासन विकल्प के तौर पर ऑनलाइन शिक्षा तथा शिक्षक प्रशिक्षण एवं अन्य गतिविधियां आरंभ कर चुका है लेकिन क्या वह इतनी कारगर हो पाएगी। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी ऑनलाइन जैसी व्यवस्था निष्फल है विद्यार्थी तो ठीक शिक्षकों को भी व्यवहारिक कठिनाइयां उत्पन्न हो रही है ऐसे में शिक्षक सांस्कृतिक संगठन द्वारा इस विषय पर वरिष्ठ अधिकारियों शिक्षाविदों एवं शिक्षकों की साप्ताहिक परिचर्चा आयोजित कर इस समस्या के निदान हेतु कदम बढ़ाया है पक्ष विपक्ष में मिले विचारों से यह निष्कर्ष उभर कर आया की ऑनलाइन शिक्षा आवश्यक तो है लेकिन व्यवहारिक नहीं है तकनीकी और संसाधनों की कमी के कारण इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है । परिचर्चा में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला परियोजना समन्वयक श्री अमर वरधानी ने कहा कि विभाग का उद्देश्य है कि किसी भी छात्र का नुकसान ना हो स्कूल बंद रहने की अवस्था में । इसके लिए आवश्यक है कि हम सभी को कोई तो विकल्प तलाशना होगा जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी का नुकसान ना हो पाए ।
ऑनलाईन चर्चा में विशिष्ट रूप से उपस्थित पिपलोदा डाइट के प्राचार्य श्री नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि वैश्विक महामारी के इस बुरे दौर में ऑनलाइन शिक्षा राज्य सरकार की शिक्षा की वैकल्पिक व्यवस्था है ,जब तक हालत नहीं सुधरते तब तक बच्चा किसी भी माध्यम से शिक्षा से जुड़ा रहे अधिकतम ना सही न्यूनतम ही सीख सकें । घर बैठे यदि दो-चार घंटे वह पढ़ाई हेतु मोबाइल का उपयोग कर ले तो वह कुछ ग्रहण ही करेगा अन्यथा दिन भर टीवी और खेल में पढ़ाई लिखाई तो भूल ही जाएगा रहा । सवाल यह है कि पालको के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है, डाटा हेतु पैसा नहीं है ,दूरस्थ गांव में टावर की समस्याएं हैं वह तो है ही और उनका प्रतिशत बहुत अधिक नहीं है हर नई चीज के साथ कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां तो आती ही हैं जिनका समाधान भी हमारे पास ही होता है। यह संक्रमण काल जब तक ठीक नहीं हो जाता बच्चों का जीवन दांव पर लगाकर स्कूल नहीं खोले जा सकते है। अत: इस दौर में ऑनलाइन शिक्षा सरकार की उत्तम व्यवस्था है जिसका उचित प्रचार-प्रसार कर प्रत्येक बच्चे तक इसे पहुंचाया जा सके ,यह प्रयास हम शिक्षकों को करना चाहिए।
वरिष्ठ साहित्यकार मुरलीधर चांदनी वाला ने विषय प्रवर्तन प्रस्तुत करते हुए कहा कि कोरोनाकाल के इन दिनों में छात्र और शिक्षक सबसे अधिक असमंजस में है। घर-घर ऑन लाईन कक्षाएँ चल तो रही हैं, लेकिन वे शिक्षा के मूलभूत उद्देश्य को पूरा करने में समर्थ नहीं। ऑन लाईन शिक्षा खीज पैदा कर रही है, और आश्चर्य नहीं कि थोड़े ही दिनों में इसका नाम लेने वाला कोई न मिले। धनी और सम्पन्न घरानों को छोड़ दें, तो एक से अधिक बच्चों को लैप टॉप या एन्ड्राइड फोन सुलभ कराना सब अभिभावकों के बस की बात नहीं है। सरकारी स्कूल में अध्ययनरत बच्चों के लिये तो ये साधन बहुत दूर की कौड़ी है। संस्था के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा न केवल बच्चों के लिए भी अनुकूल नहीं है अपितु प्रशिक्षण के अभाव में शिक्षक भी इसको आत्मसात नहीं कर पाए है वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर इसका महत्व जरूर है लेकिन व्यवहारिक तौर पर प्रासंगिक नहीं है शिक्षण का एक माध्यम हो सकता है समूची शिक्षा व्यवस्था इसकी सहायता से नहीं चल सकती । सेवानिवृत्त शिक्षिका वीणा छाजेड़ ने कहा वैसे तो हमारी शिक्षा प्रणाली विद्यालय से ही आरंभ होती है लेकिन वर्तमान दौर में आधुनिक शिक्षा के तहत ऑनलाइन शिक्षा का महत्व बढ़ गया है यह एक अतिरिक्त शिक्षण का माध्यम हो सकता है लेकिन सामान्य दिनों में नहीं सचिव दिलीप वर्मा ने कहा कि अभी तो आप विद्यालय को इस लायक बनाओ और बच्चों को एंड्रॉयड फोन लाकर प्रदान करो तब यह शिक्षण व्यवस्था कारगर होगी । शिक्षिका रक्षा के कुमार ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा रेस्टोरेंट में खाना खाने की समान है और स्कूली शिक्षा घर के भोजन की तरह संतृप्ति देती है शिक्षिका भारतीय उपाध्याय ने कहा कि अत्यंत अव्यवहारिक होगा कि हम बच्चों को मूलभूत सुख सुविधा नहीं दे पा रहे हैं और उनसे एंड्रॉयड फोन की अपेक्षा रखें । शिक्षक रमेश उपाध्याय ने कहा कि स्कूली शिक्षा में शिक्षक और शिक्षिका जीवंत संपर्क होता है जो अच्छी शिक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है शिक्षिका अंजुम खान ने कहा कि स्कूल में मिलने वाली व्यवहारिक शिक्षा और ऑनलाइन दी जाने वाली शिक्षा में यही बुनियादी अंतर है स्कूल में छात्र बनते हैं और ऑनलाइन पर स्टूडेंट बनते हैं । शिक्षक दशरथ जोशी ने कहा कि आनलाईन शिक्षा अभी विकल्प नहीं बन सकती जबतक ग्रामीण परिवेश उन्नत नहो वरिष्ठ शिक्षिका कविता सक्सेना ने कहा कि वैसे देखा जाए तो ऑनलाइन शिक्षा वर्तमान दौर की महती आवश्यकता है आधुनिक शिक्षा का माध्यम है लेकिन इसके लिए हमारे विद्यालयों को सर्व सुविधा युक्त बनाना होगा । शिक्षक वीके जोशी ने कहा किआनलाईन शिक्षा केवल नीजी विधालय मे सफल हो सकती हैं लेकिन सरकारी स्कूल जहाँ इसके लिए अभी अनुकूल वातावरण नही है
सेवानिवृत्त शिक्षक चंद्रकात वाफगांवकर ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा पूर्ण शिक्षा नहीं है विद्यालय वातावरण विद्यार्थियों में शिक्षा का सही स्वरूप प्रदान करता हैं शिक्षक और विद्यार्थी का जीवंत संपर्क शिक्षा की उच्चता को स्थापित करता है ।  प्रतिभा चांदनी वाला ने कहा कि वर्तमान समय में ऑनलाइन शिक्षा समय की मांग है लेकिन इसके व्यवहारिक अवगुण भी अपनी जगह महत्व रखते हैं आर्थिक विपन्नता भी एक कारण है।  वरिष्ठ शिक्षक राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि यह मध्य प्रदेश शासन के अधिकारियों की हठधर्मिता का परिणाम है अपनी जवाबदारी से ध्यान हटाने के लिए इसकी वकालत कर रहे हैं । शिक्षक तथा खेल अनुदेशक चंद्रशेखर लशकरी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा में अभी बच्चे भी पूर्ण नहीं है एवं शिक्षक भी परिपक्व नहीं हो पाए और ना ही स्कूल में इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध है । वरिष्ठ शिक्षक मिथिलेश मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा वैसे वर्तमान दौर की महती आवश्यकता है लेकिन इसके लिए हमें अनुकूल वातावरण बनाना होगा तब यह कारगर होगी । शिक्षक देवेंद्र वाघेला ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों की आवश्यकता होगी जो ग्रामीण और गरीब वर्ग के बच्चे उपलब्ध नहीं कर पाते इसके लिए सरकार को उपलब्ध कराने होंगे । कवि एवं सेवानिवृत्त शिक्षक श्याम सुंदर भाटी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा स्विट्जरलैंड के संविधान के समान है जो दिखता है वह है नहीं और जो है वह नहीं दिखाई पड़ता है । शिक्षक कमल सिंह राठौड़ ने कहा कि हमारी शिक्षण व्यवस्था पारंपरिक और संस्कारों पर आधारित है जो गुरु शिष्य परंपरा को स्थापित करती है ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा असफल है । वरिष्ठ शिक्षक राधेश्याम तोगडे ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा जरूर दीजिए लेकिन बच्चों को एंड्रॉयड फोन और उनके पालकों को प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से दिया जाए तभी इसकी उपयोगिता है । कृष्ण चंद्र ठाकुर ने कहा कि समय के मांग अनुसार ऑनलाइन चिता व्यवहारिक हो सकती है लेकिन इसके लिए संसाधन जुटाने होंगे । परिचर्चा में नरेंद्र सिंह राठौड़, मदनलाल मेहरा, आरती त्रिवेदी, अनिल जोशी, नूतन मजावदिया, मनोज कसेरा, मनोहर प्रजापति, गोपाल जोशी आदि उपस्थित थे । संचालन दिलीप वर्मा तथा आभार दिनेश शर्मा ने व्यक्त किया ।